नेपाल–भारत साहित्य संगम के अंतर्गत ग़ालिब जयन्ती का आयोजन

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काठमांडू: नेपाल–भारत के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल के रूप में ‘नेपाल–भारत साहित्य संगम’ के अंतर्गत भारतीय राजदूतावास, काठमांडू तथा उर्दू अकादमी, नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में नेपाल–भारत पुस्तकालय, न्यू रोड, काठमांडू में ‘ग़ालिब जयन्ती’ का भव्य एवं गरिमामय आयोजन संपन्न हुआ।
इस साहित्यिक समारोह में हिंदी, उर्दू एवं नेपाली भाषाओं के प्रतिष्ठित कवियों एवं शायरों ने अपनी रचनाओं का सस्वर पाठ किया। तीनों भाषाओं की इस त्रिवेणी ने मंच पर साहित्यिक संगम का अनुपम दृश्य उपस्थित कर दिया, जिसमें मिर्ज़ा ग़ालिब की सार्वकालिक साहित्यिक विरासत को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में आमंत्रित कवियों में प्रा. डॉ. सनत कुमार वस्ति, डॉ. श्वेता दीप्ति, अल्ताफ़ फ़्रेफ्ता, डॉ. जफर अहमद, करुण थापा, प्रकाश सायमी, डॉ. आनंद कुमार त्रिपाठी, फ़ुर्कान फ़ैज़ी, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, जैनव खान, रवि प्रांजल तथा इम्तियाज़ वफ़ा प्रमुख रहे। सभी रचनाकारों ने अपनी-अपनी भाषिक एवं साहित्यिक विशिष्टताओं के साथ ग़ालिब की रचनात्मक चेतना, मानवीय संवेदना और गंगा-जमुनी तहज़ीब को रेखांकित किया। भारतीय राजदूतावास काठमांडू के अताशे (राजभाषा) डॉ. धनेश द्विवेदी की रचनाओं ने सबसे अधिक तालियां बटोरी। सभी ने मुक्त कंठ से उनकी रचनाओं की सराहना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रा. डॉ. सनत कुमार वस्ति ने की, जबकि संचालन का दायित्व वरिष्ठ शायर इम्तियाज़ वफ़ा ने अत्यंत सुचारु, सधे और काव्यात्मक ढंग से निभाया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री बशिष्ट नन्दन, प्रथम सचिव (प्रेस, सूचना एवं संस्कृति), भारतीय राजदूतावास, काठमांडू ने सभी शायरों एवं कवियों को शाल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया तथा नेपाल–भारत के साहित्यिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में ऐसे आयोजनों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
समग्र रूप से यह आयोजन साहित्य, सौहार्द और सांस्कृतिक संवाद का एक स्मरणीय उत्सव सिद्ध हुआ, जिसने मिर्ज़ा ग़ालिब की विरासत के माध्यम से दोनों देशों के रचनात्मक मन को एक साझा भावभूमि पर एकत्रित किया।

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