बीजिंग: भारत की बॉर्डर सिक्योरिटी और साउथ एशिया में चीन के इरादों पर पेंटागन की हालिया रिपोर्ट को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो रहा है। गुरुवार को चीन ने युएस कांग्रेस की विस्फोटक रिपोर्ट को गलत बताया और जवाबी चेतावनी जारी की। बीजिंग का दावा है कि इस तरह की ‘मनगढ़ंत’ रिपोर्ट पेश करके अमेरिका असल में इलाके की शांति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है और मिलिट्री दबदबा बनाए रखने का बहाना ढूंढ रहा है।
पेंटागन रिपोर्ट में क्या था?
युएस डिपार्टमेंट ऑफ़ डिफेंस या पेंटागन रिपोर्ट में मुख्य रूप से तीन मुद्दों पर ज़ोर दिया गया है:
१. अरुणाचल लक्ष्य: चीन के लंबे समय के प्लान में भारत के अरुणाचल प्रदेश पर कब्ज़ा करना शामिल है।
२. भारत-युएस दूरी: चीन का असली मकसद एलएसी पर भारत के साथ टेम्पररी तनाव को कम करना और नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच रिश्तों में दरार पैदा करना है।
३. पाक-चीन एक्सिस: पाकिस्तान और चीन के बीच मिलिट्री और इंटेलिजेंस रिश्ते गहरे हो रहे हैं, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ रही हैं। एयर डिफेंस सिस्टम से लेकर ड्रोन तक, बीजिंग पाकिस्तान का मुख्य हथियार सप्लायर बनता जा रहा है।
चीन का जवाब:
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिका पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट चीन की डिफेंस पॉलिसी को तोड़-मरोड़कर पेश करती है और दूसरे देशों के साथ चीन के रिश्तों में टकराव के बीज बोती है।” साथ ही, उन्होंने दावा किया कि भारत-चीन बॉर्डर पर हालात फिलहाल पूरी तरह से स्थिर हैं, जिससे भारत को एक मैसेज गया है।
संदर्भ और नया समीकरण
२०२४ के ब्रिक्स समिट में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्तों में नरमी के संकेत मिले थे। लेकिन पेंटागन का दावा है कि यह स्थिरता चीन की सिर्फ एक स्ट्रेटेजिक चाल है। दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत पर रूसी तेल खरीदने पर ज़्यादा टैरिफ लगाने से वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच दूरी कुछ बढ़ गई है। इस समय, पेंटागन की रिपोर्ट भारत के लिए चेतावनी के साथ-साथ चीन के लिए परेशानी का सबब भी बन गई है। हालांकि नई दिल्ली इस मुद्दे पर अभी भी चुप है, लेकिन इंटरनेशनल रिलेशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी रिपोर्ट साउथ एशिया में चीन के हमले को रोकने के लिए भारत पर एक स्ट्रेटेजिक प्रेशर कैंपेन का हिस्सा है।










