पश्चिम बंगाल में ३० लाख नाम हटाने की तैयारी

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डिजिटाइजेशन में मृत–गुमशुदा–डुप्लिकेट मतदाताओं की संख्या अधिक

काेलकाता: पश्चिम बंगाल में विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) अवधि के दौरान एन्यूमरेशन फार्मों के डिजिटाइजेशन के आधार पर चुनाव आयोग ने अनुमान लगाया है कि करीब ३० लाख मृत, गुमशुदा, डुप्लिकेट और अन्य राज्यों में स्थायी रूप से रहने वाले मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे।
आयोग के प्रारंभिक आकलन के अनुसार लगभग १६ लाख नाम मृत मतदाताओं के हैं, जबकि बाकी गुमशुदा, डुप्लिकेट या राज्य से बाहर स्थायी रूप से बस चुके मतदाताओं के हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक अधिकारी के अनुसार यह अनुमान अब तक हुए डिजिटाइजेशन प्रतिशत पर आधारित है, और प्रक्रिया पूर्ण होने पर यह संख्या बढ़ भी सकती है।
शुक्रवार शाम तक ६.७३ करोड़ मतदाताओं के फॉर्म डिजिटाइज हो चुके हैं, जो कि राज्य के ७ करोड़ ६६ लाख ३७ हजार ५२९ मतदाताओं का लगभग ८८% है।
अधिकारियों ने बताया कि हटाए जाने वाले नामों का सटीक आँकड़ा ९ दिसंबर को स्पष्ट होगा, जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी।
इस बीच बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) पर तृणमूल कांग्रेस और राज्य प्रशासन द्वारा दबाव डाले जाने की लगातार शिकायतों के बाद चुनाव आयोग उनके समर्थन में सामने आया है।
आयोग ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुभ्रता गु्प्ता को विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। उनके साथ अन्य ११ आईएएस अधिकारियों की टीम एसआईआर प्रक्रिया की निगरानी करेगी और अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी।
इसके अलावा आयोग ने राज्य के डीजीपी राजीव कुमार और कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि बीएलओ पर किसी भी प्रकार का दबाव या धमकी न दी जाए।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल को झोपड़ी बस्तियों, ऊँची इमारतों और गेटेड सोसाइटी में बूथ स्थापना से संबंधित सभी दिशा-निर्देश पूर्ण रूप से लागू करने का आदेश दिया गया है।

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