कोलकाता: भारतीय विज्ञापन जगत के प्रख्यात रचनात्मक दूरदर्शी पीयूष पांडे का गुरुवार को निधन हो गया। वे ७० वर्ष के थे। चार दशकों से अधिक समय तक पांडे ने ओगिल्वी इंडिया और भारतीय विज्ञापन जगत का चेहरा बने रहते हुए इस क्षेत्र को नई पहचान दी।
जयपुर में जन्मे पांडे ने अपने करियर की शुरुआत रेडियो जिंगल्स से की थी। १९८२ में ओगिल्वी इंडिया में शामिल होने के बाद उन्होंने विज्ञापनों की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी विशिष्ट मूंछें, गूंजती हंसी और भारतीय उपभोक्ताओं की गहरी समझ ने विज्ञापनों को अंग्रेज़ी-भाषी शोकेस से बदलकर देश के रोज़मर्रा के जीवन और भावनाओं से जुड़ी कहानियों में बदल दिया।
पांडे के प्रमुख अभियान जैसे एशियन पेंट्स का “हर खुशी में रंग लाए”, कैडबरी का “कुछ खास है”, फेविकोल की “एग” फिल्म, और हच के पग विज्ञापन भारतीय लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं। उनके एक पुराने सहयोगी ने कहा, “उन्होंने न केवल भारतीय विज्ञापन की भाषा बदली, बल्कि उसका व्याकरण भी बदल दिया।”
पीयूष पांडे का निधन भारतीय विज्ञापन जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान और दृष्टिकोण ने उद्योग को नई दिशा दी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।
 
								



 
								

 
															 
                     
								 
								 
															 
								 
								 
								




