नई दिल्ली: भारत की १८ वर्षीय तीरंदाज शीतल देवी ने पैरावर्ल्ड आर्चरी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। खास बात यह है कि शीतल दोनों हाथ न होने के बावजूद अपने पैर और कंधे की मदद से तीर चलाती हैं।
महिला कम्पाउंड व्यक्तिगत स्पर्धा के फाइनल में शीतल ने तुर्की की विश्व नंबर-१ तीरंदाज ओजनुर क्योर गिरदी को १४६-१४३ से हराकर यह उपलब्धि हासिल की। यह इस चैम्पियनशिप में उनका तीसरा पदक है। इससे पहले उन्होंने तोमन कुमार के साथ कम्पाउंड मिक्स्ड टीम में कांस्य पदक और महिला कम्पाउंड ओपन टीम स्पर्धा में सरिता के साथ मिलकर रजत पदक जीता था।
व्यक्तिगत फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। पहला राउंड २९-२९ की बराबरी पर खत्म हुआ। इसके बाद शीतल ने दूसरे राउंड में लगातार तीन बार १० अंक हासिल कर ३०-२७ से बढ़त बनाई। तीसरा राउंड फिर २९-२९ से बराबरी पर रहा। चौथे राउंड में शीतल से हल्की गलती हुई और गिरदी ने २९-२८ से यह राउंड जीत लिया। निर्णायक पांचवें राउंड में शीतल ने लगातार तीन परफेक्ट १० लगाए और पूरे ३० अंक लेकर स्वर्ण पदक पक्का किया।
यह शीतल का पहला व्यक्तिगत वर्ल्ड चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक है। सेमीफाइनल में उन्होंने ब्रिटेन की जोडी ग्रिनहैम को १४५-१४० से मात दी थी।