दुर्गोत्सव पर रचनात्मकता और करुणा का संगम

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शरद सृजनी सम्मान और ‘ख़ुशी’ पहल साथ आए

कोलकाता: दुर्गा पूजा, जिसे बंगाल की सांस्कृतिक आत्मा कहा जाता है, इस बार सिर्फ भक्ति और कला का उत्सव नहीं रहेगा, बल्कि करुणा और सामाजिक ज़िम्मेदारी का भी संदेश देगा। इसी क्रम में शरद सृजनी सम्मान और ख़ुशी – ए हेल्पिंग हैंड ने मिलकर एक नई पहल की है, जो रचनात्मकता और सामाजिक सरोकार को साथ लाने का प्रयास है।
२०१३ से दिया जा रहा शरद सृजनी सम्मान, हर साल पूजा पंडाल और प्रतिमाओं की कलात्मकता, नवाचार और सामाजिक संदेशों को सम्मानित करता आया है। इस बार दो नई श्रेणियाँ जोड़ी गई हैं: चित्रलेखन शिल्पी सम्मान और विशेष जूरी पुरस्कार। पहली बार आवासीय परिसरों को भी इस मंच से अपनी रचनात्मकता दिखाने का अवसर मिलेगा।
दूसरी ओर, ख़ुशी, इंडिया ग्रीन्स रियलिटी प्रा. लि. द्वारा शुरू किया गया एक आंदोलन—वंचित समुदायों को शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरणीय पहल के ज़रिये सशक्त बनाने में सक्रिय है। अम्फान चक्रवात के बाद ५०,००० पेड़ लगाने से लेकर कोविड-१८ लॉकडाउन राहत तक, इस संगठन ने कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। इस वर्ष उन्मेष नामक नई योजना के तहत प्रतिभाशाली युवाओं को शिक्षा, खेल और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग दिया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि दुर्गा पूजा जैसे सामूहिक उत्सवों में कला और करुणा का यह मेल समाज को और मजबूत बना सकता है। आयोजकों ने उम्मीद जताई है कि इस पहल से भविष्य की दिशा और भी उज्ज्वल होगी।

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