२७ जुलाई में नानूर दिवस से भाषा आंदोलन का एलम करेगी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

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कोलकता: कोलकोता के धर्मतल्ला में शहीद दिवस के मौके पर भाजपा को निशाना बनाते हुए टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भाषा आंदोलन शुरू करने की तिथि घोषित कर दी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा के हारने तक पहचान और भाषा की लड़ाई जारी रहेगी। कोलकाता में शहीद दिवस रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने २०२६ के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने और अंततः इसे केंद्र की सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘अगर भाषा के आधार पर यह भेदभाव (भाषायी प्रोफाइलिंग) नहीं रुका, तो हमारा विरोध आंदोलन नयी दिल्ली तक पहुंचेगा।” उन्होंने घोषणा की, “अगर ज़रूरत पड़ी, तो बांग्ला भाषा पर भाजपा के आतंकवाद के खिलाफ एक और भाषा आंदोलन शुरू करेंगे… २७ जुलाई से बंगाल में बंगालियों, बंगाली भाषा पर हमले और ‘भाषा संत्रास’ के विरोध में एक आंदोलन शुरू होगा।”
उन्होंने इस आंदोलन को बंगाली पहचान को कथित हाशिए पर डाले जाने के खिलाफ एक बड़े प्रतिरोध के रूप में पेश किया। बनर्जी ने कहा, “हमें 2026 के विधानसभा चुनावों में अधिक सीटें जीतनी होंगी और फिर भाजपा को हराने के लिए दिल्ली कूच करना होगा।” भाजपा-शासित राज्यों में बंगालियों को परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि समुदाय की पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है – चाहे वह एनआरसी नोटिस हों, मतदाता सूची से नाम हटाना हो या फिर हिरासत शिविरों में बंगालियों को रखना हो। उन्होंने कहा, “२०१९ में उन्होंने ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी थी। उन्होंने बंगाली महापुरुषों का अपमान किया और उसके परिणाम भी देखे। अब, वे मतदाता सूचियों से बंगालियों के नाम हटाने के लिए अधिसूचनाएं जारी कर रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों को हिरासत शिविरों में डाला जा रहा है।” उन्होंने कहा, ”मैं भाजपा को चुनौती देती हूं और देखती हूं कि वे कितने लोगों को जेल में डालेंगे।”
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “वह अपना राज्य नहीं संभाल सकते, लेकिन पश्चिम बंगाल के मामलों में दखल दे रहे हैं। मैं सुष्मिता देव से असम में एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन करने का आग्रह करती हूं। हम सब इसमें शामिल होंगे।” उन्होंने पूछा, “असम सरकार को बंगाल के निवासियों को एनआरसी नोटिस भेजने का अधिकार किसने दिया?” बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अन्य राज्यों से आए लगभग १.५ करोड़ प्रवासी रहते हैं। उन्होंने कहा, “हम पूरे भारत से लोगों का स्वागत करते हैं, लेकिन देखिए भाजपा बंगालियों के साथ क्या कर रही है।” बनर्जी ने निर्वाचन आयोग पर भी तीखा हमला बोला और उस पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “भाजपा और निर्वाचन आयोग बंगाल के ख़िलाफ़ साज़िश रच रहे हैं। वे बंगाल में भी वही करना चाहते हैं, जो उन्होंने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के ज़रिए किया। बिहार में उन्होंने 40 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए हैं। अगर उन्होंने यहां भी यही कोशिश की, तो हम उनका घेराव करेंगे। हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे।” भाजपा द्वारा उनके आवास और राज्य सचिवालय तक रैलियां और मार्च निकाले जाने का जिक्र करते हुए ममता बनर्जी ने चेतावनी दी, “अब जवाब उसी भाषा में मिलेगा, जो उन्हें समझ में आती है।” उन्होंने पूछा, “वे (भाजपा) मेरे घर और राज्य सचिवालय तक मार्च निकालते हैं। अगर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भी भाजपा नेताओं के घरों के बाहर धरना देने लगें, तो क्या होगा?” उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि जब भी किसी बंगाली को भाजपा शासित राज्यों में हिरासत में लिया जाए या परेशान किया जाए तो उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए यहां धरने पर बैठें।
भाजपा के लोकतंत्र की रक्षा करने के दावों पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा, “भाजपा आपातकाल के खिलाफ बात करती है, जबकि उन्होंने देश में ‘सुपर इमरजेंसी’ लागू कर दी है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए बनर्जी ने कहा, “आप कहते हैं कि सत्ता परिवर्तन से बंगाल में विकास आएगा। लेकिन पिछले ११ वर्षों में आपने देश के विकास के लिए क्या किया है?” ममता बनर्जी की यह तीखी प्रतिक्रिया मोदी की हालिया बंगाल रैली के जवाब में आई, जहां प्रधानमंत्री ने भाजपा को बंगाली अस्मिता की सच्ची रक्षक पार्टी बताया था और ‘झूठ, अराजकता और लूट’ के शासन का अंत करने का आह्वान किया था। बनर्जी ने फरवरी में अमेरिका से भारतीयों के निर्वासन का हवाला देते हुए पूछा, “आप अमेरिकी राष्ट्रपति के नियंत्रण में हैं और आप हमें उपदेश देने की हिम्मत कर रहे हैं? जब अवैध प्रवासियों को बेड़ियों में बांधकर अमेरिका से निर्वासित किया जा रहा था, उनमें से ज्यादातर गुजरात से थे, तब भाजपा क्या कर रही थी?” बंगाली मतदाताओं से जुड़ने की मोदी की कोशिशों का मज़ाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा, “आप बंगाल आते हैं, ‘टेलीप्रॉम्प्टर’ देखकर बंगाली में बोलते हैं और सोचते हैं कि आप हमारा दिल जीत सकते हैं? आप पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) भी नहीं ले पाए, लेकिन आप बंगाल का सपना देख रहे हैं!” प्रदर्शन की रूपरेखा की घोषणा करते हुए बनर्जी ने कहा कि २७ जुलाई के बाद बांग्ला भाषा और समुदाय पर भाजपा के हमलों के खिलाफ पूरे बंगाल में हर सप्ताहांत रैलियां और मार्च आयोजित किए जाएंगे। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने बंगाल की तुलना भाजपा शासित राज्यों से करते हुए दावा किया, “भाजपा को पहले यह जवाब देना चाहिए कि उनके राज्यों में महिलाओं को इस तरह के अत्याचारों का सामना क्यों करना पड़ रहा है। बंगाल हिंसा के मामलों में तुरंत कार्रवाई करता है।” उन्होंने ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “भाजपा हमारी पहचान, भाषा, संस्कृति और गौरव को मिटाना चाहती है। लेकिन, मैं आपसे वादा करती हूं कि जब तक हम उन्हें केंद्र की सत्ता से हटा नहीं देते, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”

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