सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का ‘उत्तरकन्या अभियान’ को लेकर राज्य की सियासत सोमवार को पूरी तरह गरमा गई है।विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में यह अभियान सिलिगुड़ी से शुरू हुआ, जिसमें पार्टी के सांसद और विधायक भी शामिल हुए।
भाजपा के साथ अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस की यह सभा एक राजनीतिक कार्यक्रम बनकर रह गई है, जिसका शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना या समर्थन से कोई संबंध नहीं है। आज शुभेंदु अधिकारी न उत्तरबंगाल रवाना होने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए दोहराया कि २१ जुलाई की यह रैली महज एक दिखावा है।
सोमवार सुबह शुभेंदु अधिकारी सिलीगुड़ी पहुंचे और वहां उत्तरबंगाल के भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ ‘उत्तरकन्या अभियान’ में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि तृणमूल केवल राजनीतिक मंच बनाने के लिए शहीदों के नाम का इस्तेमाल कर रही है। भाजपा के साथ अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस की यह सभा एक राजनीतिक कार्यक्रम बनकर रह गई है, जिसका शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना या समर्थन से कोई संबंध नहीं है।
आज शुभेंदु अधिकारी न उत्तरबंगाल रवाना होने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए दोहराया कि २१ जुलाई की यह रैली महज एक दिखावा है। यह एक पगलू डांस है। शुभेंदु अधिकारी ने रैली से पहले कहा कि भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति हमेशा शांतिपूर्ण आंदोलनों की रही है और उत्तरकन्या अभियान भी उसी परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल पुलिस ने उनकी सभा की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट से इजाज़त मिलने के बाद यह रैली संभव हो पाई।
उन्होंने कहा, बंगाल की पुलिस जनता की नहीं, तृणमूल की कठपुतली बन चुकी है। इस रैली को लेकर प्रशासन पहले असहमत था, लेकिन बीजेपी द्वारा कोर्ट का रुख किए जाने के बाद हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ रैली की इजाजत दी। कोर्ट के निर्देशानुसार यह मार्च तीनबत्ती मोड़ से शुरू होकर लगभग ढाई किलोमीटर दूर चूनाभाटी मोड़ तक पहुंचना है, जिसके बाद एक जनसभा का आयोजन फुटबॉल मैदान में किया गया है। अधिकारी ने दावा किया कि २०२१ के विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा में ५७ भाजपा कार्यकर्ता मारे गए, १,००० से अधिक घायल हुए और लाखों लोग विस्थापित हुए।
अधिकारी ने कहा कि चुनाव बाद की हिंसा में नारकेलडांगा में भाजपा कार्यकर्ता अविजित सरकार की हत्या के मामले में एक सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त, एक निरीक्षक और एक होमगार्ड को जेल भेजा गया था। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इस घटना को नहीं भूलना चाहिए।
भाजपा हप पुलिसवालों पर रखे हुए है नजर:
शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘मैं उन कई आईपीएस अधिकारियों को चेतावनी दे रहा हूं, जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से अवैध कार्यों, अनियमितताओं और अपराधों में सहायता और प्रोत्साहन देते रहते हैं कि वे ऐसे कृत्य करना बंद करें। आपकी हर हरकत पर नजर रखी जा रही है।’
उन्होंने कहा कि आपमें से किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, भाजपा सब देख रही है। नारकेलडांगा के तीन पुलिस अफसरों के साथ जो हुआ, उसे मत भूलिये। अधिकारी ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों का एक वर्ग मवेशी, रेत और कोयला तस्करी और जबरन वसूली में संलिप्त है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इनके बारे में विशेष जानकारी है।
परेश पॉल और सत्तारूढ़ पार्टी के दो पार्षदों का नाम भी शामिल:
विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद हुई सरकार की हत्या के मामले में तृणमूल विधायक परेश पॉल और सत्तारूढ़ पार्टी के दो पार्षदों का नाम भी सीबीआई के आरोपपत्र में शामिल था, लेकिन उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया, जिसने एजेंसी को एक अगस्त तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
सीबीआई ने ३० जून को इस मामले में अपना दूसरा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें १८ आरोपियों के नाम शामिल थे. इनमें नारकेलडांगा पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी सुभाजीत सेन, हत्या मामले की जांच अधिकारी रत्ना सरकार और होमगार्ड दीपांकर देबनाथ शामिल थे। इस अभियान में अधिकतम दस हज़ार लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई थी। उसी के मुताबिक बड़ी संख्या में भाजपा युवा मोर्चा और अन्य संबंधित संगठनों के कार्यकर्ता पहुंचे हैं।बीजेपी ने इस अभियान के लिए विशेष ‘थीम सॉन्ग’ भी तैयार किया है, जिसे शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने जारी किया था। रैली में युवाओं की बड़ी भागीदारी देखी गई, क्योंकि यह अभियान पार्टी की युवा मोर्चा की ओर से आयोजित किया गया है। तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी के इस अभियान पर तीखा तंज कसा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिना नाम लिए रविवार को कहा था, हम जब कोई कार्यक्रम करते हैं तो ये लोग समानांतर कार्यक्रम करने लगते हैं, लेकिन जब इनका कोई अकेला कार्यक्रम होता है, हम कोई समानांतर आयोजन नहीं करते।
शुभेंदु अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि २१ जुलाई को तृणमूल अंडा-भात खाएगी, हम उत्तरकन्या जाएंगे। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया था कि वे अपने खर्च पर आएं और मजबूती से लड़ें।