काठमांडू: नेपाल-तिब्बत व्यापार सुविधा समिति की १३वीं बैठक १७ और १८ जून को चीन के स्वायत्तशासी क्षेत्र तिब्बत (जिसे अब आधिकारिक तौर पर सिजांग के नाम से जाना जाता है) की राजधानी ल्हासा में सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। बैठक में नेपाल ने चार प्रमुख सीमा चौकियों – तातोपानी (अरानिको हाईवे), कोरला (मुस्ताङ), ओलाङचुङगोला (ताप्लेजुङ) और किमाथांका (संखुवासभा) – को बेहतर बनाने और बुनियादी ढांचे के निर्माण में चीन से मदद की अपील की।
डिजिटल पहचान पत्र का पहल:
बैठक में सीमावर्ती जिलों के नागरिकों को डिजिटल पहचान पत्र जारी करके सीमा पार आवाजाही को आसान बनाने पर भी चर्चा हुई। पहले हस्तलिखित पहचान पत्र के आधार पर ३० किलोमीटर तक की सीमा पार यात्रा की अनुमति थी, जिसे अब इलेक्ट्रॉनिक पहचान पत्र के जरिए प्रबंधित किया जाएगा। नेपाल ने पहले ही इसका मसौदा तैयार कर लिया है और अब चीन के सुझावों के अनुसार इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
बैठकों में भागीदारी:
नेपाल की ओर से उद्योग, वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव बिपिन आचार्य के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया, जिसमें गृह, कृषि, वित्त मंत्रालय के अधिकारी तथा ल्हासा में नेपाली महावाणिज्यदूत लक्ष्मी प्रसाद निरौला शामिल थे। चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तिब्बती जन सरकार के उप महासचिव वांग किचुङ ने किया।
व्यापार के लिए बैंकिंग सुविधा:
सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार करने वाले नागरिकों के लिए दोनों देशों में बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया को सरल बनाने पर सहमति बनी है, ताकि भुगतान संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
व्यापार प्रदर्शनी का नया नाम:
भविष्य में आयोजित होने वाली तिब्बत-नेपाल व्यापार प्रदर्शनी का नाम अब “सिजांग-नेपाल आर्थिक, व्यापार एवं निवेश प्रदर्शनी” होगा। यह परिवर्तन चीन द्वारा “तिब्बत” के स्थान पर “सिजांग” नाम का उपयोग करने की प्राथमिकता के अनुरूप है।
इलेक्ट्रिक ट्रकों से परिवहन लागत में कमी आएगी
बैठक के दौरान नेपाली प्रतिनिधिमंडल ने सिगात्से स्थित ड्राई पोर्ट का भी दौरा किया, जहां अधिकारियों ने नेपाल में कंटेनरों के परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक ट्रकों के संचालन की योजना के बारे में जानकारी दी। इस ट्रक सेवा से परिवहन लागत में करीब ३० फीसदी की कमी आएगी।
स्थानीय बुनियादी ढांचे को सहयोग देगा चीन:
चीन की ओर से यह आश्वासन भी मिला कि वह नेपाल के सीमावर्ती जिलों में स्थानीय स्तर पर आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता करेगा। नेपाल ने अब तक ३४ परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है, जिनमें से कुछ पर पहले से ही काम चल रहा है। चीन ने नेपाल से और प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया है।
काठमांडू में होगी १४वीं बैठक:
दोनों पक्षों ने अगली यानी १४वीं बैठक नेपाल की राजधानी काठमांडू में करने पर सहमति जताई है। इस दौरान नेपाल ने वन-चाइना नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
निष्कर्षतः
इस बैठक को नेपाल-चीन के बीच व्यापारिक सहयोग और सीमा क्षेत्र के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे।