सांसद राजू बिष्ट ने सेल रोटी पुल का किया दौरा, कहा निर्माण में अनियमितताओं पर होगी कार्रवाई

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सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने आज राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों के साथ कलिम्पोंग जिले के बागराकोट के निकट सेलरौटी पुल, जिसे सामान्यतः सर्प पुल के नाम से जाना जाता है, का दौरा किया। उनके साथ संबंधित अधिकारी भी थे। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग ७१७ए पर नवनिर्मित लूप ब्रिज का दौरा किया तथा उसमें हुए संरचनात्मक नुकसान का निरीक्षण किया, जिसका खुलासा हाल ही में मीडिया में हुआ था।
जैसा कि कहा गया है, हमारा कलिम्पोंग-दार्जिलिंग क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र आईभी में आता है और यहां देश में सबसे अधिक वर्षा होती है, जिससे यहां भूस्खलन का खतरा अधिक रहता है। इस नाजुक और चुनौतीपूर्ण भूगोल को ध्यान में रखते हुए, एनएच-७१७ए को एनएच-१० के विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है और निकट भविष्य में कलिम्पोंग और सिक्किम के लिए निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसलिए, निर्माण चरण के दौरान किसी भी उभरते संरचनात्मक मुद्दे का सक्रियतापूर्वक और शीघ्रता से समाधान करना महत्वपूर्ण है। सांसद ने कहा कि मैंने यह मामला पहले ही माननीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी के समक्ष उठाया है।
जिसमें न केवल पुल बल्कि आसपास के पूरे सड़क खंड की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), सड़क डिजाइन और निर्माण गुणवत्ता की विस्तृत समीक्षा का अनुरोध किया गया है। मैंने माननीय मंत्री से आग्रह किया है कि वे कार्यान्वयन एजेंसी के प्रदर्शन की स्वतंत्र जांच शुरू करें ताकि किसी भी त्रुटि या कमियों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, हमारी संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, मैंने पुल और आसपास की सड़कों के लक्षित रखरखाव सहित तत्काल सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता पर बल दिया है।


मुझे बताया गया है कि एनएचआईडीसीएल वर्तमान में पुल डिजाइन और ढलान स्थिरता दोनों की व्यापक समीक्षा कर रहा है। उनके सबसे वरिष्ठ संरचनात्मक इंजीनियरों को पुल की दीर्घकालिक अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सबसे उपयुक्त समाधान को डिजाइन करने और कार्यान्वित करने का काम सौंपा गया है। मैं जनता को आश्वस्त करता हूं कि यह सड़क तब तक नहीं खोली जाएगी जब तक कि सभी संरचनात्मक, डिजाइन और स्थिरता संबंधी चिंताओं का पूरी तरह से समाधान नहीं हो जाता। सार्वजनिक सुरक्षा और इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की दीर्घकालिक व्यवहार्यता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं।

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