नई दिल्ली: भारत ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नाम बदलने के चीन के प्रयास को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और इसे “बकवास और बेतुका” बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास निरर्थक हैं और इससे इस “निर्विवाद” तथ्य में कोई बदलाव नहीं आएगा कि राज्य “भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा”।
अरुणाचल प्रदेश पर चीन का दावा:
बताया जा रहा है कि भारत ने यह टिप्पणी चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने की घोषणा के जवाब में की है। चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी भाग मानता है।
चीन का दावा खारिज:
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने चीन द्वारा भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के निरर्थक और बेतुके प्रयास देखे हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने सिद्धांतों के अनुरूप ऐसे प्रयासों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं। जायसवाल ने इस विषय पर एक पत्रकार के प्रश्न का उत्तर देते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि नया नाम इस निर्विवाद वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा।
चीन ने पिछले वर्ष भी नामों की एक सूची जारी की थी।
पिछले वर्ष अप्रैल में भी जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ३० स्थानों के लिए ‘मानकीकृत नामों’ की सूची जारी की थी, तो भारत ने उस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने २०१७ में “झांगनान” में छह स्थानों के लिए “मानकीकृत नामों” की पहली सूची जारी की, और २०२१ में १५ स्थानों की दूसरी सूची जारी की। इसके बाद २०२३ में ११ स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई।
द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव:
अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नामों की नई सूची जारी करने का चीन का निर्णय ऐसे समय में आया है जब दोनों देश पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध से प्रभावित संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं। भारत और चीन ने लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद पिछले महीने कैलाश मानसरोवर यात्रा पुनः आरंभ करने का निर्णय लिया, जिसे संबंधों में सुधार के प्रयास के रूप में देखा गया।