कोहिमा: नागालैंड की पांच प्रमुख जनजातियों, अंगामी, आओ, लोथा, रेंगमा और सूमी ने राज्य सरकार को ३० दिन का अल्टीमेटम देते हुए नागालैंड नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा और सुधार की मांग की है। इन जनजातियों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखकर सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि २० सितंबर २०२४ को ज्ञापन सौंपने के बावजूद छह महीने में कोई कार्रवाई या संवाद नहीं हुआ। प्रतिनिधियों ने कहा कि 47 वर्षों से लागू आरक्षण नीति से पिछड़ी जनजातियों को अत्यधिक लाभ मिला है, जबकि अपेक्षाकृत उन्नत जनजातियां प्रभावित हुई हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि नीति की हर दस साल में समीक्षा होनी थी, लेकिन १९८९ के एक नोटिफिकेशन के बाद इसे अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया। ज्ञापन में सरकार पर विभिन्न समितियों की सिफारिशों की अनदेखी का भी आरोप लगाया गया, जिनमें आंतरिक आरक्षण, क्रीमी लेयर वर्गीकरण और बैकलॉग पदों जैसी समस्याएं शामिल हैं।
प्रतिनिधियों ने चेताया कि बिना समीक्षा के जारी आरक्षण से आर्थिक असमानता और सामाजिक अशांति बढ़ सकती है। पांचों जनजातियों ने या तो वर्तमान आरक्षण नीति को समाप्त करने या बचे हुए अनारक्षित कोटे को केवल अपने समुदाय के लिए सुरक्षित करने की मांग रखी है। विफलता की स्थिति में आगे आंदोलन की चेतावनी दी गई है।