सुपरन्यूमरेरी यानी शून्य पद, पदों का सृजन किए जाने के मामले की जांच सीबीआई नहीं करेगी

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कोलकत्ता: राज्य सरकार की तरफ से दायर एसएलपी पर मंगलवार को सुनवायी के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार के डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया। यहां गौरतलब है कि पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने हाई कोर्ट के डिविजन बेंच के इस आदेश पर स्टे लगा दिया था।
एडवोकेट अनामिका पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चीफ जस्टिस के बेंच ने कहा है कि अतिरिक्त शून्य पदों के सृजन के लिए उपयुक्त परामर्श लिया गया था। राज्यपाल से भी इस मामले में अनुमति ली गई थी। इसलिए इस मामले में कोर्ट को दखल देने की कोई आवश्यकता नहीं है। यहां गौरतलब है कि नियुक्ति घोटाले के मामले में तत्कालीन जस्टिस अभिजीत गांगुली ने कुछ नियुक्तियों को खारिज कर दिया था। राज्य सरकार के मंत्रीमंडल के आदेश के बाद छह हजार के करीब अतिरिक्त पदों का सृजन किया गया था। वेटिंग लिस्ट के साथ ही इन पदों पर फिजिकल एडुकेशन और वर्क एडुकेशन के टीचरों की नियुक्ति की जानी थी। इन पदों के सृजन के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट दायर की गई थी। जस्टिस अभिजीत गांगुली ने इसकी सुनवायी के बाद शून्य पदों की नियुक्ति के आदेश को खारिज कर दिया था। राज्य सरकार और एसएससी की तरफ से इसके खिलाफ डिविजन बेंच में अपील की गई थी। जस्टिस देवांशु बसाक और जस्टिस शब्बार रसीदी के डिविजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बहाल रखते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही आदेश दिया था कि मंत्रीमंडल की जिस बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया था उनसे सीबीआई पूछताछ करेगी। इसके खिलाफ राज्य सरकार और एसएससी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने डिविजन बेंच के इस आदेश पर स्टे लगा दिया था। इस एसएलपी की सुनवायी हो चुकी थी और चीफ जस्टिस को आदेश देना था। चीफ जस्टिस के बेंच ने जिस दिन २६ हजार की बर्खास्तगी का आदेश दिया था उसी दिन कहा था कि इस बारे में फैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा। यहां गौरतलब है कि कक्षा नौवीं और दसवीं के लिए शिक्षकों के लिए १९३२ , कक्षा ११ और १२ के लिए २४७ ग्रुप सी के लिए १०२, ग्रुप डी के लिए १९८०, फिजिकल एडुकेशन के लिए ८५० और वर्क एडुकेशन ७५० पदों का सृजन किया गया था।

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