नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर वन्यजीव प्रेमियों से भारत आने और चीतों को उनकी ‘‘पूरी भव्यता’’ में देखने का आग्रह किया है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ खोई हुई पारिस्थितिक विरासत को पुनर्जीवित करने का प्रयास है और इस शानदार प्रजाति की रक्षा में भारत उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है।
प्रोजेक्ट चीता के तीन वर्ष पूरे:
प्रधानमंत्री ने बताया कि तीन वर्ष पहले शुरू हुआ प्रोजेक्ट चीता न केवल इस विलुप्त होती प्रजाति की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उस पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने की दिशा में भी बड़ा कदम है, जिसमें यह प्रजाति फल-फूल सके।
उन्होंने कहा कि भारत को गर्व है कि अब कूनो राष्ट्रीय उद्यान र गांधी सागर अभयारण्य में जन्मे चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
चीता पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता:
मोदी ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में ‘‘चीता पर्यटन’’ की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, जो वन्यजीव संरक्षण के प्रति लोगों में बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है। उन्होंने विश्वभर के वन्यजीव प्रेमियों को भारत की यात्रा कर चीतों को प्राकृतिक आवास में देखने का निमन्त्रण दिया।
वन्यजीव संरक्षण भारत की परंपरा:
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य भारत की सभ्यतागत परंपरा है और यही भावना आज संरक्षण कार्यों में दिख रही है।
अधिकारियों का कहना है कि भारत में चीते पुनः बसाने का प्रयास अब ‘‘आशाजनक चरण’’ में प्रवेश कर चुका है जहाँ आबादी, आवास विस्तार और वैश्विक साझेदारियों में उल्लेखनीय उन्नति देखी गई है।
कब–कब लाए गए चीते:
कुल २० चीते मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए।
सितंबर २०२२: नामीबिया से ८ चीते
फरवरी २०२३: दक्षिण अफ्रीका से १२ चीते
अधिकारियों के अनुसार प्रारम्भिक संदेहों के विपरीत, भारत में पुनर्वास सफल साबित हुआ है।
दिसंबर २०२५ तक देश में कुल ३२ चीते हैं, जिनमें से २१ भारत में जन्मे शावक हैं।









