थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने की सिक्किम के मुख्यमंत्री से मुलाकात

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जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने सिक्किम सहित सिलीगुड़ी कॉरिडोर का भी दौरा किया

गान्तोक: सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने आज अपने आधिकारिक निवास पर सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) से मुलाकात की। इस बैठक में जीओसी – इन – सी ईस्टर्न कमांड, जीओसी त्रिशक्ति कॉर्प्स और जीओसी ब्लैक कैट डिवीजन भी मौजूद थे।
सीओएएस सिक्किम के अग्रिम क्षेत्रों के दौरे पर आए हुए हैं। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, रैनभूमि दर्शन और मिलिट्री-सिविल फ्यूजन पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री और सेना प्रमुख ने सैनिकों और वेटरंस के कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदमों पर भी विचार साझा किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य प्रशासन और भारतीय सेना के बीच निरंतर सहयोग को सराहा गया। उन्होंने कहा कि रैनभूमि दर्शन कार्यक्रम के तहत सेना और नागरिक प्रशासन के समन्वित प्रयासों ने सुरक्षा और सामाजिक कल्याण दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पहल से न केवल सैनिकों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है, बल्कि स्थानीय समुदाय और नागरिकों को भी लाभ मिल रहा है। बैठक में चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने मिलिट्री-सिविल फ्यूजन को और मजबूत बनाने और सिविल डिफेंस उपायों को प्रभावी बनाने पर जोर दिया। इसके अलावा, राज्य में सैनिक वेटरंस के कल्याण, उनकी सुविधाओं और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए रणनीतियों पर भी विचार किया गया।
जनरल द्विवेदी ने राज्य की ओर से रैनभूमि दर्शन, सिविल प्रशासन और सुरक्षा उपायों के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयासों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने भी सेना के क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास कार्यों में योगदान की प्रशंसा की। इस बैठक के परिणामस्वरूप सिक्किम में सुरक्षा व्यवस्था, सैनिक कल्याण और मिलिट्री-सिविल समन्वय को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की सहमति बनी। इसके साथ ही दोनों पक्षों ने आगे भी नियमित समन्वय और साझा प्रयासों को जारी रखने पर बल दिया। सिक्किम में यह बैठक राज्य और भारतीय सेना के बीच बेहतर साझेदारी और सामरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की सामरिक तैयारियों का जायजा लिया। यहां पहुंचे सेना प्रमुख ने सीमा पर तैनात ब्लैक कैट डिवीजन की अग्रिम चौकियों का दौरा किया और रक्षा व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। जनरल द्विवेदी ने यहां स्वदेशी ड्रोनों का प्रदर्शन भी देखा. बता दें कि जनरल द्विवेदी ने हाल ही में चाणक्य रक्षा संवाद में चीन के साथ सीमा पर हालात पहले से बहुत बेहतर होने की बात की थी। तैयारियों में ढील नहीं : भारत और चीन के बीच कुल ३,४८८ किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा है। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। इसमें सिक्किम में चीन से सटी सीमा की लंबाई २२० किमी है। अपने सिक्किम दौरे में सेना प्रमुख ने स्थानीय स्तर पर तैनात कमांडरों के साथ जमीनी हालात की समीक्षा की। सेना के सूत्रों ने बताया कि चीन के साथ बेशक रिश्ते सुधर रहे हैं, लेकिन सीमा पर तैयारियों में कोई भी ढील नहीं दी जाएगी। सिक्किम में एलएसी पर तैनात ब्लैक कैट डिवीजन सेना की महत्वपूर्ण सीमा सुरक्षा इकाइयों में से एक है। सिक्क्मि का सामरिक महत्व इस नाते भी है इसकी सीमा चीन के अलावा नेपाल और भूटान से भी मिलती है।
हॉट लाइन की व्यवस्था: हालांकि भारत और चीन के बीच फिलहाल टकराव वाले हालात नहीं हैं। पूर्वी लद्दाख में विवाद वाली जगहों से दोनों देशों की सेनाएं अक्टूबर २०२४ वाली स्थिति से पीछे हट गई हैं, लेकिन फिर भी दोनों देशों के सैनिक और अपने अत्याधुनिक हथियारों के साथ सरहद पर डटे हैं। पूर्वी लद्धाख में मई २०२० में भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने आ गई थीं। बाद में तनाव को बेहतर ढ़ंग से सुलझाने के लिये दोनों देशों के बीच हॉट लाइन की व्यवस्था भी की गई, जिससे सीमाई इलाके में आपसी भरोसा और सौहार्द को पहले जैसा बढ़ाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल भारत और चीन के बीच छह हॉटलाइन सक्रिय हैं। इनमें से दो पूर्वी लद्दाख में, दो सिक्किम में और दो अरुणाचल प्रदेश में है। इसके अलावा जमीनी स्तर पर दोनों देशों के सेनाओं के बीच विवाद होने पर सुलझाने के लिये एक ढांचा भी बना हुआ है।
सिलिगुड़ी कॉरिडोर सिक्किम के दक्षिण में अत्यंत संवेदनशील और रणनीतिक गलियारा सिलिगुड़ी कॉरिडोर भी है। लगभग १७०x६० किमी के क्षेत्रफल वाला यह संकरा इलाका नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा है. इसका सबसे पतला हिस्सा केवल २०-२२ किमी चौड़ा है। यह देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवनरेखा है। यहां प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे लाइनें, पाइपलाइनें और ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी भी हैं। माना जाता है कि इसी इलाके को देश से अलग करने पर देश के दुश्मनों की नजर बराबर लगी रहती है। हालांकि सेना के टॉप कमांडरों का यह भी कहना है कि चिकन नेक नाम से प्रसिद्ध इस गलियारे के आसपास भारत के इतने सैनिक तैनात हैं कि दुश्मन की किसी भी नापाक हरकत का समय रहते जवाब दिया जा सकता है। यानी दुश्मन यहां कुछ भी करने से पहले सैकड़ों बार सोचेगा। सुरक्षा हलकों में इसलिए भी चिंता और बढ जाती है कि जिस तरह से हाल के दिनों में बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन की तिकड़ी जुटी है, उससे इनके इरादों को लेकर हमेशा संशय पैदा होता है।
सिक्किम सीएम से मुलाकात: जनरल द्विवेदी ने सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री तमांग ने एक्स पर लिखा कि उन्हें सेना प्रमुख और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मिलकर खुशी हुई। तमांग ने कहा कि इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा, रणभूमि दर्शन, सैन्य-सिविल समन्वय और पूर्व सैनिकों के कल्याण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

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