सिकल सैल रोग से पीड़ित बच्चों के इलाज में भारत की बड़ी सफलता

फोर्टिस गुरुग्राम के डॉक्टरों ने रचा इतिहास

गुरुग्राम: भारतीय चिकित्सा जगत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हुई है। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएमआरआई), गुरुग्राम के डॉक्टरों ने बोन मैरो (स्टेम सेल) ट्रांसप्लांट के ज़रिए सिकल सैल रोग से पीड़ित बच्चों के इलाज में असाधारण सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि भारत को आधुनिक पीडिएट्रिक ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा करती है।
एक दशक तक चले इस अध्ययन को इंटरनेशनल जर्नल हीमोग्लोबिन में प्रकाशित किया गया। २०१५ से २०२४ के बीच १०० बच्चों पर किए गए इस अध्ययन में कुल ८७% मरीज जीवित रहे। मैच्ड सिबलिंग डोनर ट्रांसप्लांट में ९६% सफलता जबकि हाफ-मैच्ड (हैप्लोआइडेंटिकल) फैमिली डोनर ट्रांसप्लांट में ७८% सफलता दर्ज की गई, ये परिणाम दुनिया के श्रेष्ठ स्वास्थ्य केंद्रों के समकक्ष हैं।
सिकल सैल रोग रक्त का एक आनुवंशिक विकार है, जिससे भारत और अफ्रीका में लाखों बच्चे पीड़ित हैं। अब तक इस बीमारी का इलाज केवल दवाइयों और खून चढ़ाने तक सीमित था। लेकिन स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, जिसमें मरीज के खराब बोन मैरो को स्वस्थ डोनर के स्टेम सेल्स से बदल दिया जाता है जाे अब स्थायी इलाज का रास्ता खोल रहा है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. स्वाति भयाना, फोर्टिस गुरुग्राम की पीडिएट्रिक हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ, ने कहा, “यह सिकल सैल रोग से जूझ रहे परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है। हमारे परिणाम दिखाते हैं कि अगर समय पर इलाज मिले, तो भारत जैसे देशों में भी बच्चों की जीवित रहने की संभावना दुनिया के श्रेष्ठ देशों से कम नहीं है।”
प्रमुख सलाहकार डॉ. विकास दुआ ने कहा, “ये बच्चे पहले दर्द में जी रहे थे, बार-बार अस्पताल में भर्ती होते थे। आज वे स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। हर बच्चे को सामान्य जीवन का अधिकार है, यही हमारी प्रेरणा है।”
डॉ. राहुल भार्गव ने कहा,
“सिकल सैल के आधे केस भारत और अफ्रीका में हैं। हमने साबित किया है कि आधुनिक इलाज अब सिर्फ विकसित देशों तक सीमित नहीं है।”
फोर्टिस गुरुग्राम के वाइस प्रेसिडेंट यशपाल रावत ने कहा
“फोर्टिस में हम मानते हैं कि इनोवेशन मानवता की सेवा के लिए होना चाहिए। एक दशक के अध्ययन की सफलता हमारी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
यह अध्ययन भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करता है जो सिकल सैल रोग से पीड़ित बच्चों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के ज़रिए नया जीवन दे रहे हैं।

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