भाग्यशाली शेफाली वर्मा ने फाइनल में अर्धशतक के साथ रचा इतिहास

मुंबई: महिला वनडे वर्ल्ड कप २०२५ के फाइनल में यह सिर्फ भारत की जीत की कहानी नहीं थी, बल्कि यह युवा शेफाली वर्मा के पुनर्जन्म जैसी प्रेरणादायक गाथा बन गई।
फाइनल से मात्र छह दिन पहले तक भी शेफाली का नाम भारतीय टीम की वर्ल्ड कप स्क्वाड में शामिल नहीं था। लेकिन किस्मत ने करवट बदली और इन-फॉर्म ओपनर प्रतिका रावल के चोटिल होकर बाहर होने के बाद शेफाली को टीम में जगह मिली, और उन्होंने उस मौके को इतिहास में बदल दिया।
२१ साल और २७९ दिन की उम्र में शेफाली वर्मा वनडे वर्ल्ड कप (पुरुष या महिला) फाइनल में “प्लेयर ऑफ द मैच” बनने वाली सबसे युवा क्रिकेटर बन गईं।
कुछ महीने पहले तक उन्हें भारतीय वनडे सेटअप से बाहर माना जा रहा था। टीम चयन के समय उनका नाम चर्चा में भी नहीं था, लेकिन अब उनका नाम भारतीय क्रिकेट के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है।
फाइनल से पहले शेफाली ने अपना पिछला वनडे अर्धशतक जुलाई २०२२ में बनाया था। उसके बाद की १३ पारियों में वह न तो कोई अर्धशतक बना सकीं, और ६ बार तो दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचीं।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हरियाणा के लिए घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया। २०२४–२५ सीज़न में उन्होंने ७५.२८ की औसत और १५२ की स्ट्राइक रेट से रन बनाए, और डब्ल्यूपीएल २०२५ में चौथी सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं।
आखिरकार किस्मत ने जब दरवाज़ा खोला, शेफाली ने उस मौके का पूरा फायदा उठाया।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में जबरदस्त वापसी के बाद, उन्होंने फाइनल में भी अर्धशतक जमाया।
५६ रन पर दक्षिण अफ्रीका की एनेके बॉश ने उनका कैच छोड़ दिया और वही पल भारत के लिए निर्णायक साबित हुआ।
उस जीवनदान का फायदा उठाते हुए शेफाली ने ७८ गेंदों में ७ चौके और २ छक्कों की मदद से ८७ रन बनाए।
सिर्फ बल्लेबाज़ी ही नहीं, उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी पारी में मारिजाने कैप और सुने लूस जैसे अहम विकेट भी झटके।
मुकाबले के बाद शेफाली ने भावुक स्वर में कहा,
“भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा है, ये आज सच हुआ। मैं बहुत खुश हूं क्योंकि हमने वर्ल्ड कप जीता है। इस खुशी को शब्दों में बयान नहीं कर सकती। देर से टीम में बुलाए जाने के बाद फोकस करना मुश्किल था, लेकिन मैंने खुद पर भरोसा रखा। परिवार, भाई और दोस्तों ने बहुत समर्थन दिया।”
उन्होंने आगे कहा, “स्मृति दीदी (मंधाना) लगातार मुझसे बात करती रहीं, और हरमन दीदी (हरमनप्रीत कौर) ने हर पल मेरा साथ दिया। सीनियर्स ने मुझे निर्भय होकर खेलने की प्रेरणा दी। जब इतना भरोसा मिलता है, तब मैदान पर बस खेल का आनंद लेना बाकी रहता है।”
शेफाली ने सचिन तेंदुलकर को अपनी प्रेरणा बताया:
“सचिन सर बालकनी में थे, उन्हें देखकर अलग जोश आया। मैं उनसे लगातार बात करती हूं, वो हमेशा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। फाइनल में उन्हें देखकर लगा कि मेरी मेहनत सार्थक हुई।”

About Author

[DISPLAY_ULTIMATE_SOCIAL_ICONS]

Advertisement