नई दिल्ली: आज देशभर में भैया-दूज का पर्व मनाया जा रहा है- भाई और बहन के स्नेह का प्रतीक। इस अवसर पर “मास्टरजी” ने एक प्रेरणादायक संदेश साझा किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस पर्व का असली अर्थ तभी समझा जा सकता है जब ‘मैं’ मिटे और ‘हम’ जागे।
उनके अनुसार, हर रिश्ता एक व्यवस्था का हिस्सा है जो समाज को संभालने के लिए बना। समय के साथ जब स्वार्थ और ‘मैं’ की भावना बढ़ी, तब रिश्तों में दूरी आने लगी। “पहले प्रेम त्याग में था, अब अपेक्षा में बदल गया है,” वे कहते हैं।
मास्टरजी का मानना है कि भैया-दूज केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह आत्म-स्मरण का अवसर है, यह याद दिलाता है कि भाई-बहन का प्रेम ‘मेरा’ या ‘तेरा’ से परे, ‘हम’ की भावना में बसता है।
उनका यह भी कहना है कि यदि रिश्तों में प्रेम को स्थायी रखना है, तो हमें अपनी ‘मैं’ को मिटाना होगा। “जब ‘मैं’ मिटती है, तब प्रेम खिलता है,” वे कहते हैं।
उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल “मास्टरजी” के माध्यम से यह भी बताया है कि केवल ३ से ३० प्रवचन सुनकर ही व्यक्ति अपने जीवन में अद्भुत परिवर्तन महसूस कर सकता है।
 
								



 
								

 
															 
                     
								 
								 
															 
								 
								 
								





