बकखाली के फ्रेरजगंज में दुर्लभ प्रवासी पक्षी की देखी गयी झलक

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काकद्वीप: दक्षिण २४ परगना जिले के बकखाली पर्यटन केंद्र के निकट स्थित फ्रेजरगंज में एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी, पेक्टोरल सैंडपाइपर के देखे जाने से पक्षी प्रेमियों और पर्यावरणविदों में खासा उत्साह है। यह पहली बार है जब इस प्रजाति को पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत में कैमरे में कैद किया गया है। पेक्टोरल सैंडपाइपर मूलतः उत्तरी एशिया के टुंड्रा क्षेत्र और बेरिंग जलडमरूमध्य के पार अमेरिका में पाया जाता है। यह पक्षी अपनी लंबी प्रवासीय यात्रा के दौरान सर्दियों में दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया तक पहुंचता है। दक्षिण एशिया में इसका दिखाई देना अत्यंत दुर्लभ माना जाता है और यही कारण है कि इसे ‘भारत में दुर्लभ’ श्रेणी में शामिल किया गया है। ‘बर्ड वॉचर्स सोसाइटी’ के एक दल ने हाल ही में फ्रेजरगंज के पास कारगिल समुद्र तट पर पक्षियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक सर्वेक्षण किया था। उसी दौरान इस विशेष प्रजाति के एक पक्षी को देखा गया और कैमरे में कैद भी किया गया। संगठन के प्रमुख ने बताया कि इससे पहले इस पक्षी को भारत में केवल अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, महाराष्ट्र, केरल और गुजरात में देखा गया था। पड़ोसी देश श्रीलंका में भी इसके प्रवासी रूप में उपस्थित होने की पुष्टि हो चुकी है। पेक्टोरल सैंडपाइपर को एक कुशल ‘वेडर’ माना जाता है, जो मुख्यतः कीचड़ और गाद भरे तटीय क्षेत्रों में कीट-पतंगों और छोटे जलीय जीवों की तलाश करता है। इसके भोजन की आदतें इसे समुद्र तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं। इस खोज ने न केवल स्थानीय पक्षी प्रेमियों को रोमांचित किया है, बल्कि यह जैव विविधता अनुसंधान और संरक्षण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक बदलावों के कारण प्रवासी पक्षियों की उड़ान पट्टियों में बदलाव देखा जा रहा है, और यह घटना भी उसी का संकेत हो सकती है। फ्रेजरगंज में इस दुर्लभ प्रवासी की उपस्थिति भविष्य में और अधिक जैव विविधता शोध व संरक्षण के प्रयासों को गति दे सकती है।

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