कोलकाता के ताज बंगाल होटल में एसोसिएशन ऑफ कॉर्पोरेट एडवाइजर एंड एग्जिक्यूटिव्स (एसीएई) द्वारा वार्षिक सम्मेलन २०२५ का आयोजन किया गया। सम्मेलन में देश के प्रतिष्ठित पेशेवर, नीति निर्माता, शिक्षाविद और कॉर्पोरेट अधिकारी उपस्थित थे। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कॉर्पोरेट नेतृत्व, नवाचार और नैतिकता के आधार पर पेशेवर क्षमताओं को सशक्त बनाना था।
सम्मेलन का उद्घाटन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक ने किया। इस अवसर पर एसीएई के अध्यक्ष एडवोकेट (सीए) तरुण कुमार गुप्ता, सीए प्रमोद दयाल रूंगटा, महासचिव सीए शिवानी अग्रवाल, आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष सीए (डॉ.) देबाशीष मित्रा और आईसीएसआई की पूर्व अध्यक्ष सीएस ममता बिनानी सहित कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष तरुण कुमार गुप्ता ने कहा, “‘राइज’ हमारा मार्गदर्शक विषय है, जो नवाचार को अपनाने, शासन को सुदृढ़ करने और भविष्य की आवश्यक क्षमताओं के निर्माण के लिए पेशेवरों को प्रेरित करेगा। हम २०३० के भारत और इसके अवसरों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
सम्मेलन में विभिन्न सत्र आयोजित किए गए। ‘२०३० में भारत: उभरते क्षेत्र’ सत्र में रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा के अवसरों पर चर्चा हुई। वक्ताओं में राज सेठिया, अदृत पाल चौधरी और सीए आर. वेंकटेश ने भारत के वैश्विक नेतृत्व को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों पर अपने विचार साझा किए।
स्वतंत्र निदेशकों, अनुपालन अधिकारियों और लेखा परीक्षकों की भूमिका और कॉर्पोरेट जवाबदेही पर आयोजित सत्र में नैतिकता और प्रशासन के माध्यम से विश्वास निर्माण पर चर्चा हुई। इसमें सीए पी आर रमेश, सीएस सावित्री पारेख और सीए पिनाकी चौधरी ने बहुमूल्य दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।
उभरती तकनीकियों और एआई पर विशेष ध्यान देते हुए, सीए आनंद पी जांगिड़, के पी नारायणन और सीए उमंग पालन ने ट्रिपल-एंट्री अकाउंटिंग, कनेक्टेड बैंकिंग और जेनेरेटिव एआई की संभावनाओं पर चर्चा की।
पेशेवर अवसर और क्षमता विकास सत्र में सीए प्रशांत के एल, सीए विकास शारदा और सीए दीपक गुप्ता ने भारतीय बिग ४ फर्म, बीआरएसआर और ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर (जीसीसी) के बढ़ते अवसरों पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन का समापन प्रसिद्ध लेखक और वक्ता डॉ. आनंद रंगनाथन ने “असहमति का साहस: आम सहमति के युग में अनुरूपता से ऊपर उठना” विषय पर प्रेरक व्याख्यान के माध्यम से किया। उनके शब्दों ने उपस्थित लोगों को स्वतंत्र विचार और निडर नेतृत्व अपनाने के लिए प्रेरित किया।
५०० से अधिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति वाले इस वार्षिक सम्मेलन ने न केवल २०३० के भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया, बल्कि एसीएई की अनुसंधान, उद्योग संपर्क, कौशल विकास और सामूहिक ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता को भी पुष्टि की।