अवैध वनों की कटाई से पहाड़ी राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब तलब किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भारी बारिश के कारण हुई तबाही को “मानव-जनित संकट” बताते हुए केंद्र, एनडीएमए और राज्य सरकारों से जवाब तलब किया। कोर्ट ने कहा कि अवैध पेड़ कटाई ने प्रकृति को नाराज किया है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं आई हैं।
याचिका में कहा गया कि हिमाचल प्रदेश में बाढ़ के दौरान भारी मात्रा में लकड़ियां बहकर आईं, जिससे अवैध कटाई के प्रमाण सामने आए। पंजाब में ४ लाख एकड़ जमीन बाढ़ की चपेट में है और ३७ लोगों की मौत हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भूस्खलन से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई और छह अन्य मलबे में दबे। उत्तराखंड में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग बंद हैं।
दिल्ली और हरियाणा में यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि से बाढ़ का पानी कई क्षेत्रों में घुस चुका है। पंजाब के फिरोजपुर में ग्रामीण और अधिकारी सतलज नदी के तटबंध को टूटने से बचाने में जुटे हैं। मानसून के दौरान पहाड़ी राज्यों में अब तक ३४३ लोग मरे और ४३ लोग लापता हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने “विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन” बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सुनवाई दो हफ्ते बाद होने का निर्देश दिया।

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