बच्चों को सुबह उठते ही दूध पिलाने का रिवाज़ है। बच्चों को शरीर को मज़बूती देने के लिए, बड़ों और बुज़ुर्गों को हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए दूध दिया जाता है। जब बच्चे ठोस आहार लेना शुरू करते हैं, तब भी दूध ज़रूरी माना जाता है। यानी दूध को पोषण का पर्याय माना जाता है।
लेकिन क्या वाकई हर उम्र में दूध पीना ज़रूरी है? या इसे सिर्फ़ बचपन तक ही सीमित रखना चाहिए?
दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन डी और फॉस्फोरस जैसे ज़रूरी पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के विकास और स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी हैं। हालाँकि, आजकल बहुत से लोग दूध पीने के विकल्प तलाश रहे हैं।
कुछ लोग लैक्टोज़ असहिष्णु होते हैं, जिससे दूध पीने पर गैस, पेट दर्द या दस्त हो जाते हैं। इसी तरह, कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें हरी सब्ज़ियाँ, दही, तिल, बादाम, सोया जैसे विकल्पों से भी वही पोषण मिल सकता है। यही वजह है कि यह बहस अक्सर सुनने को मिलती है।