कोलकाता: राज्य में सड़कों की खराब स्थिति पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास डेको की खंडपीठ ने गुरुवार को इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। खंडपीठ ने राज्य को सड़कों की हालत सुधारने के लिए दो हफ़्ते का समय दिया है। साथ ही, हाईकोर्ट ने राज्य में सड़कों की खराब स्थिति को लेकर स्वेच्छा से मुकदमा दायर करने पर भी चेतावनी दी है।
गौरतलब है कि तारातला रोड और बाज़बुजको रोड का हवाला देते हुए यह जनहित याचिका दायर की गई है। इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने खंडपीठ का ध्यान भटकाने की कोशिश की है। राज्य सरकार ने कहा है कि इस मामले में लोक निर्माण विभाग को पक्षकार नहीं बनाया गया है। यह विभाग सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार है। न्यायमूर्ति सेन ने अधिवक्ता से सवाल किया कि इस मामले में मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया गया है और वह राज्य के सर्वोच्च अधिकारी हैं। उन्होंने पूछा, फिर लोक निर्माण विभाग को पक्षकार न बनाने का तर्क क्यों दिया जा रहा है? न्यायमूर्ति सेन ने कहा कि कोलकाता और जिलों में सड़कों की हालत खराब है। मरीजों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस मिलना भी मुश्किल है। न्यायमूर्ति सेन ने कहा कि अगर लोक निर्माण विभाग और जिला परिषद कार्रवाई नहीं करते हैं, तो अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। जनहित के इस मामले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति सेन ने कहा कि राज्य विभिन्न मदों पर पैसा खर्च करता है। कुछ पैसा सड़कों की हालत सुधारने पर भी खर्च किया जाना चाहिए। जलभराव की समस्या का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति सेन ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए आवश्यकतानुसार पंप लगाए जाने चाहिए। राज्य सरकार को इस मामले पर दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा।









