भारत और ब्रिटेन ने सामाजिक सुरक्षा पर समझौते किये

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नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन ने मंगलवार को सामाजिक सुरक्षा समझौते के लिए बातचीत पूरी होने की घोषणा की। इससे सीमित अवधि के लिए ब्रिटेन में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरे अंशदान से बचने में मदद मिलेगी। वर्तमान में, भारतीय पेशेवर जो सीमित अवधि के लिए ब्रिटेन में काम करते हैं, वे वहां की सामाजिक सुरक्षा निधि में योगदान करते हैं, लेकिन परियोजना पूरी होने के बाद वापस लौटने पर उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता।
ब्रिटेन में कार्यरत भारतीय व्यवसायों की यह लंबे समय से मांग रही है कि अल्पावधि के आधार पर कुशल भारतीय पेशेवरों को लाने से जुड़ी अतिरिक्त लागत का बोझ कम किया जाए।
२०२१ के आंकड़ों के अनुसार, अस्थायी वीजा पर ब्रिटेन में कुशल भारतीय पेशेवरों के लिए अनिवार्य राष्ट्रीय बीमा (एनआई) योगदान से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) को भुगतान किए जाने वाले अन्य सभी करों और स्वास्थ्य अधिभार के अलावा, प्रति कर्मचारी सालाना लगभग ५०० ब्रिटिश पाउंड का अतिरिक्त लागत बोझ पड़ता है।
भारत का बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड जैसे देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते हैं। इस प्रकार, रोजगार के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों को उन देशों की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में योगदान देने की आवश्यकता नहीं है। वे और उनके नियोक्ता विदेश में सेवा करते हुए भी भारत में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ लेना जारी रख सकते हैं।

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