डिजिटल गिरफ्तारी साइबर ठगी मामले में नया खुलासा

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कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कोलकाता जोनल कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, २००२ के तहत कोलकाता, दिल्ली और बंगलुरु में एक व्यापक तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई उमा जैसिंटा बर्नी और अन्य के खिलाफ दर्ज डिजिटल गिरफ्तारी साइबर ठगी मामले में की गई। तलाशी के दौरान ईडी को कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए हैं। ईडी ने यह जांच कोलकाता पुलिस द्वारा साइबर थाना, कोलकाता में दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की। जांच में पता चला कि आरोपी व्यक्तियों ने सीबीआई, कस्टम्स जैसे सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों का झूठा रूप धरकर पीड़ितों से संपर्क किया। वे फोन और व्हाट्सएप के माध्यम से पीड़ितों को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में झूठे आरोपों की धमकी देकर उनसे पैसे वसूलते थे। आरोपी फर्जी दस्तावेज जैसे कि सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई, कस्टम्स और सीबीआई के नाम से नकली लेटरहेड बनाकर पीड़ितों को भेजते थे।
ईडी कार्यालय ने बताया कई खातों में पैसे ट्रांसफर कर छुपाया जाता था अवैध धन का सुराग:
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपियों ने कई बैंकों में चालू खाते उन व्यक्तियों के नाम पर खुलवाए थे, जिन्होंने कमीशन के लालच में अपने खाते उपलब्ध कराए। इन खातों के माध्यम से ठगे गए पैसे जमा किए जाते थे और तुरंत ही कई अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते थे, ताकि पैसे के स्रोत और रास्ते को छुपाया जा सके।
पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं दो मास्टरमाइंड:
इस मामले में पहले भी ईडी ने ४ अप्रैल को दो मास्टरमाइंड योगेश दुग्गल (दिल्ली निवासी) और चिराग कपूर उर्फ चिंतक राज (बंगलुरु निवासी) को गिरफ्तार किया था। दोनों को 8 अप्रैल २०२५ तक ईडी की हिरासत में रखा गया था और वर्तमान में वे न्यायिक हिरासत में हैं।

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