नई दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क में १०० प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि कर दी है। इससे अमेरिकी बाजार में चीनी वस्तुओं पर कुल २४५ प्रतिशत सीमा शुल्क लगेगा।
ट्रम्प प्रशासन ने यह निर्णय चीन द्वारा ११ अप्रैल को अमेरिकी वस्तुओं पर १२५ प्रतिशत टैरिफ वृद्धि लागू करने के जवाब में लिया। व्हाइट हाउस द्वारा मंगलवार को प्रकाशित तथ्य पत्र में सीमा शुल्क में वृद्धि का उल्लेख किया गया है।
चीन का जवाब: हम व्यापार युद्ध से नहीं डरते
अमेरिका द्वारा सीमा शुल्क में और वृद्धि की घोषणा के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चीन ने एक बार फिर अमेरिका के साथ बातचीत की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि, “हम व्यापार युद्ध से डरते नहीं हैं।”
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “अगर अमेरिका वास्तव में बातचीत और समझ के माध्यम से समस्या का समाधान करना चाहता है, तो उसे अनावश्यक दबाव, धमकियों और ब्लैकमेल का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।” संवाद समानता, सम्मान और पारस्परिक लाभ पर आधारित होना चाहिए।
लिन ने कहा, “आपको अमेरिका से पूछना चाहिए कि २४५ प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ वृद्धि में किन वस्तुओं पर किस दर से कर लगाया जाएगा।” यह टैरिफ युद्ध अमेरिका ने शुरू किया था, हमने नहीं। हम अमेरिकी प्रतिक्रिया का जवाब दे रहे हैं – हमारी कार्रवाई तर्कसंगत और कानूनी है।
मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अब निर्णय लेने की बारी चीन की है। “गेंद चीन के पाले में है।” राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट द्वारा पढ़े गए एक बयान में कहा गया, “चीन को हमारे साथ समझौता करना होगा।”
बीजिंग की ओर से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिन ने बुधवार को कहा, “अमेरिका ने यह टैरिफ युद्ध शुरू किया।” चीन का रुख स्पष्ट है कि टैरिफ युद्ध या व्यापार युद्ध में कोई भी नहीं जीतता। इसका मतलब यह है कि चीन युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो वह इसका सामना करने से नहीं डरेगा।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सरकार ने अपनी एयरलाइनों को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नए विमान न खरीदने का आदेश दिया है। साथ ही, उसे संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्मित विमान भागों और उपकरणों की खरीद बंद करने को भी कहा गया है।
यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया जब ट्रम्प प्रशासन ने चीन पर टैरिफ १४५ प्रतिशत बढ़ा दिया।
बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी निर्यातक कंपनी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी रक्षा डीलर है।
इससे पहले अमेरिका के जवाब में चीन ने भी सात प्रकार की दुर्लभ और कीमती धातुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन धातुओं को कार, ड्रोन, रोबोट और मिसाइल जैसे उपकरण बनाने वाले उद्योग के लिए आवश्यक माना जाता है।
४ अप्रैल को जारी आदेश के अनुसार, इन धातुओं और इनसे बने विशेष चुम्बकों का अब चीन से निर्यात विशेष परमिट के साथ ही किया जा सकेगा।
चीन के इस निर्णय से ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और सेमीकंडक्टर कंपनियां प्रभावित होंगी। इससे कारें, हवाई जहाज, इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और यहां तक कि हथियार भी महंगे हो जाएंगे। इस निर्णय से न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका बल्कि विश्व भर की कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी।