कोलकाता: सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक तरफ है और मुख्यमंत्री का बयान दूसरी तरफ! मुख्यमंत्री ने नेताजी इंडोर स्टेडियम में बेरोजगारों की बैठक बुलाई और सभी को आश्वासन दिया। ममता ने योग्य लोगों को रोजगार सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली। ममता ने दो महीने के भीतर वैकल्पिक व्यवस्था का आश्वासन दिया। ममता ने कहा कि कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा, “योग्य लोगों को रोजगार सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसमें कोई आरक्षण नहीं है। हम वही करेंगे जो कानून के मुताबिक होगा। हमें कोई रास्ता निकालना होगा।”
आख़िर कैसे? जब तक सरकार न्यायालय को पात्र और अपात्र उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची उपलब्ध नहीं कराती, न्यायालय फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेगा। और यदि अपात्रों की सूची प्रकाशित की गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। मुख्यमंत्री ने बेरोजगार शिक्षकों को स्वेच्छा से काम करने की सलाह दी। ममता ने आश्वासन दिया कि किसी भी पात्र व्यक्ति की नौकरी रद्द नहीं की जाएगी। ममता ने मांग की कि मानवता के नाते सुप्रीम कोर्ट पात्र और अपात्र लोगों की सूची राज्य को सौंपे। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट को स्पष्टीकरण देना चाहिए। किसी को भी शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का अधिकार नहीं है।” मुख्यमंत्री इससे पहले भी कई बार बेरोजगारों को लेकर कई तरह की बातें कह चुके हैं। उन्होंने मंत्रिमंडल को अतिरिक्त पदों को मंजूरी देने का भी कार्य सौंपा। अब देखते हैं दो महीने बाद क्या होता है!