ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड द्वारा “विश्व स्ट्रोक दिवस २०२५” का आयोजन

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कोलकाता: “विश्व स्ट्रोक दिवस” के अवसर पर ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड (बीसीएल) ने अपने कर्मचारियों के लिए एक स्वास्थ्य जागरूकता संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम नारायण मेमोरियल हॉस्पिटल, बेहाला, कोलकाता के सहयोग से आयोजित किया गया था।
इसका उद्देश्य कर्मचारियों में स्ट्रोक के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के प्रति जागरूकता फैलाना था।
कार्यक्रम में शहर के दो प्रतिष्ठित चिकित्सक- डॉ. सौरव बसु और डॉ. अर्पण दत्ता मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
अतिथियों का स्वागत श्री आर. वीराबाहु, निदेशक (वित्त), बीसीएल द्वारा किया गया। अपने स्वागत भाषण में उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल औपचारिकता हैं, बल्कि हमें स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देते हैं।
डॉ. सौरव बसु, नारायण मेमोरियल हॉस्पिटल के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट एवं क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ, ने “स्ट्रोक” विषय पर अत्यंत ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “स्ट्रोक एक ऐसी घटना है जो बिजली की तरह अचानक घटित होती है, लेकिन इसकी रोकथाम हमारे अपने हाथ में है।”
उन्होंने सभी कर्मचारियों से संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव नियंत्रण की सलाह दी।
इसके बाद डॉ. अर्पण दत्ता (डी.एम. न्यूरोलॉजी) ने स्ट्रोक की चिकित्सा स्थिति, कारणों और उपचार की प्रक्रिया को सरल शब्दों में समझाया।
उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के बाद का “गोल्डन टाइम स्पैन” यानी ४.५ घंटे अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
यदि रोगी को इस समयावधि के भीतर “स्ट्रोक-रेडी” अस्पताल पहुँचाया जाए, तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
बेहतर समझ के लिए उन्होंने कुछ प्रमुख बिंदु बंगला भाषा में भी साझा किए।
कार्यक्रम के समापन पर श्री पी. के. मिश्र, कार्यकारी निदेशक (मानव संसाधन, प्रशासन एवं सुरक्षा), ने प्रेरणादायक उद्बोधन दिया।
उन्होंने कहा, “हमारे बचपन की सीख ‘जल्दी सोना और जल्दी उठना’ आज भी अच्छे स्वास्थ्य की सबसे मजबूत नींव है।”
उन्होंने सभी अतिथियों और कर्मचारियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि बीसीएल सदैव अपने कर्मचारियों के समग्र कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यक्रम का संचालन श्री साहेब गुहा रॉय, प्रबंधक (कार्मिक एवं प्रशासन), ने कुशलतापूर्वक किया।


बीसीएल के विभिन्न विभागों से बड़ी संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे और उत्साहपूर्वक भाग लिया।
अंततः यह आयोजन केवल एक संगोष्ठी न रहकर एक प्रेरणा बन गया। यह स्मरण कराता हुआ कि “स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।”
सामूहिक स्वास्थ्य चेतना ही एक सशक्त और प्रगतिशील संगठन की आधारशिला है।

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