जीआरएसई की नई एआरएस परियोजना
कोलकाता: भारत की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की नेवल फिजिक्स एंड ओशनोग्राफी लैबोरेटरी (एनपीओएल) के लिए एक अत्याधुनिक ध्वनिक अनुसंधान पोत (एआरएस) की कील रखी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा. समीर वी. कामत, सचिव (रक्षा अनुसंधान एवं विकास) और अध्यक्ष, डीआरडीओ उपस्थित थे। साथ ही जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कमोडोर पी. आर. हरी, एनपीओएल के निदेशक डा. डी. शेषागिरी, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
नई एआरएस लंबाई में ९३ मीटर और चौड़ाई में १८ मीटर होगी। इसमें अत्याधुनिक ध्वनिक उपकरणों की व्यवस्था होगी और यह ४ से १२ नॉट की गति में संचालन करने में सक्षम होगी। अधिकतम गति पर, यह पोत एक ही मिशन में ३० दिन या लगभग ४,५०० नौटिकल मील तय कर सकेगा। पोत पर कुल १२० कर्मियों की टीम कार्य करेगी।
एआरएस विभिन्न ध्वनिक मॉड्यूल जैसे उपकरणों की तैनाती, टोइंग और रिकवरी, ध्वनि वेग प्रोफाइल का उच्च-रिज़ॉल्यूशन सर्वेक्षण, महासागरीय ज्वार/धारा डेटा संग्रह और अंडरवाटर परीक्षण कार्यों के लिए सक्षम होगा। इसमें डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम भी होगा, जो इसे समुद्री अवस्था ४ तक अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम बनाएगा।
जीआरएसई ने पहले भी नौसेना के लिए आईएनएस सागरध्वनि सहित कई अनुसंधान पोत बनाए हैं। इस नए पोत को उनसे भी अधिक उन्नत क्षमताओं और तकनीक के साथ विकसित किया जाएगा।
डा. कामत ने कहा, “१९९४ में निर्मित सागरध्वनि ने ३१ वर्षों तक उत्कृष्ट सेवा दी है। मुझे विश्वास है कि यह नया पोत उससे भी अधिक सक्षम और आधुनिक होगा।”
कमोडार पी. आर. हरी ने पूर्व राष्ट्रपति डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की ९४वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह परियोजना भारत की समुद्री अनुसंधान क्षमता को एक नए युग में ले जाएगी।