मास्को: कैंसर के खिलाफ लड़ाई में रूस को एक नई सफलता मिली है। रूस की संघीय चिकित्सा एवं जैविक एजेंसी (एएमबिए) ने एक कैंसर का टीका विकसित किया है।
रूस द्वारा विकसित एमआरएनए तकनीक पर आधारित नए टीके ‘एंटेरोमिक्स’ ने बैज्ञानिक परीक्षणों में १०० प्रतिशत प्रभावशीलता और सुरक्षा दिखाई है। इस टीके ने कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और बड़े ट्यूमर को महत्वपूर्ण रूप से सिकोड़ने की क्षमता दिखाई है।
रूसी समाचार एजेंसी (टीएएसएस) के अनुसार, सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराए जाने से पहले इस टीके को स्वास्थ्य मंत्रालय से अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
यह शोध कई वर्षों तक चला। इसमें से, पिछले तीन वर्ष केवल अनिवार्य प्रीक्लिनिकल अध्ययनों के लिए समर्पित थे। टीका अब उपयोग के लिए तैयार है। वैज्ञानिकों ने कहा कि वे आधिकारिक अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि परीक्षणों के दौरान कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखा गया और रोगियों ने इसे अच्छी तरह सहन किया।
इससे पहले, यह घोषणा की गई थी कि ४८ स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए एक बैज्ञानिक परीक्षण शुरू हो गया है। इस टीके को स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय चिकित्सा अनुसंधान रेडियोलॉजिकल केंद्र और रूसी विज्ञान अकादमी के इएमबी संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था।
मेडपाथ की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह टीका कैंसर के ट्यूमर पर हमला करके उन्हें नष्ट करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने के लिए चार प्रकार के हानिरहित वायरस का उपयोग करता है। प्रारंभिक परीक्षणों की लंबी अवधि के बाद, यह सिद्ध हो चुका है कि यह न केवल ट्यूमर के विकास को धीमा कर सकता है, बल्कि कुछ मामलों में उन्हें पूरी तरह से नष्ट भी कर सकता है।
परीक्षण की शुरुआत की घोषणा १८ से २१ जून, २०२५ तक सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच में की गई। राष्ट्रपति प्रशासन के तहत एजेंसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में चिकित्सा अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रूस की प्रगति को प्रस्तुत किया गया।
सफल परीक्षण के बाद, अब केवल नियामक अनुमोदन ही शेष है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अगले कुछ हफ़्तों में अंतिम समीक्षा किए जाने की उम्मीद है।
यदि इसे मंज़ूरी मिल जाती है, तो एंटरोमिक्स सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध पहला व्यक्तिगत एमआरएनए कैंसर टीका बन जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कैंसर उपचार के क्षेत्र को बदलने और लाखों रोगियों को नई आशा देने की क्षमता है।