विश्व को समझना चाहिए कि यह २०२५ का भारत है, आधी रात को भी घर में घुसकर मारता है: प्रफुल्य केतकर

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सिलीगुड़ी: विश्व संवाद केंद्र उत्तर बंगाल द्वारा स्तंभकारों के बीच चर्चा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक के मुख्य पत्र ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल कुमार केतकर सिलीगुड़ी पहुंचे थे। वरिष्ठ पत्रकारों, स्तंभकारों से प्रश्नों और चर्चा के दौरान कहा कि भारत का इतिहास रहा है – वह धर्मयुद्ध के अनुसार युद्ध करता रहा है। महाभारत और रावण से युद्ध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लेकिन २०२५ का भारत आधी रात में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकियों के ९ ठिकानों पर हमला कर विश्व को बता दिया कि अब भारत रुकने वाला नहीं है। यह समय की मांग भी थी। उन्होंने कहा कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर मीडिया एवं इंटरनेट मीडिया के माध्यम से उठाए जाने वाले सवालों पर आर्गनाइजर पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि मीडिया जगत से जुड़े पत्रकारों, नागरिकों, विचारकों, प्रवक्ताओं को राजद्रोह और राष्ट्रद्रोह में अंतर समझना होगा।
उन्होंने कहा अभिव्यक्ति की आजादी सभी को है, लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है – हम बोलते समय आवेश में राजद्रोह की भाषा तो नहीं बोलने लगते हैं। केतकर ने कहा कि अमेरिका के ट्विन टावर पर हुए हमले के बाद घायलों एवं मृतकों के बारे में ज्यादा नहीं दिखाया गया, लेकिन बाद में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते ही दिखाया गया। वहीं, भारत में अक्सर आतंकी हमलों में इस ढंग से रिपोर्टिंग की जाती है कि सब कुछ दिखा दिया जाता है। इसका लाभ आतंकियों को मिलता है। टीवी चैनलों, अखबारों एवं इंटरनेट मीडिया में रिपोर्टिंग करते समय सरकार की निंदा करना ठीक है, लेकिन इसे अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राजद्रोह तक पहुंचा देना सही नहीं है। इसको लेकर सजग रहना होगा। ऑर्गनाइज़र के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा आने वाले सालों में भारत डेटा का हब बनेगा।
डेटा को शस्त्र को रूप में उपयोग किया जाएगा। मीडिया को तय करना होगा सत्य को कब और कहां स्थापित करना है। मीडिया का उद्देश्य समाज व राष्ट्रहित होना चाहिए। ब्रेकिंग के चक्कर में गलत दिखाने से समाज को नुकसान होगा।असत्य को कहना मर्डर के बराबर है और अर्द्धसत्य को कहना डबल मर्डर के बराबर। चिकन नेक वास्तव में हमेशा से युद्ध के मुहाने पर है। वैश्विक किसी भी युद्ध का इसपर असर होता है। इसको लेकर भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां लगातार चिंता कर रही है लेकिन सीमावर्ती के समाज के सभी वर्ग को चिंतन और मनन करना होगा।
संघ और भाजपा के संबंध को लेकर पीछे गए कुछ सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कुछ मीडिया सीएए से मुसलमानों की नागरिकता छीनने वाला भी बता दिया उसी प्रकार संघ और भाजपा विवाद बता रहा है। राष्ट्र निर्माण में दोनों अपनी अपनी तरह से आहुति दे रहे है। सच बताएं संघ ने २०१४ में सबसे कम काम भाजपा के लिए किया था। फिर भी पूर्ण बहुमत में भाजपा सत्ता में आई। पीएम मोदी स्वयंसेवक है वह नागपुर जाते ही रहते है। संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। ऐसे में संघ अब शाखाओं से निकालकर आम लोगों के बीच काम करने का प्रण लिया है। पहाड़ से आए पत्रकारों ओर स्तंभकारों का सवाल था कि आजादी के इतने सालों बाद भी उन्हें एक अच्छा रास्ता नहीं मिला? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि विकास की आज परिभाषा ही बदल गई है। विकास का अर्थ लोग शहरी विकास समझते है? गांव और पहाड़ में रहने वाला ऐसा नहीं है।
सभी स्थान का अपना स्थान और प्रकृति होता है। जो प्रकृति से बढ़कर कुछ करने का काम किया वहां विनाश होना निश्चिंत है। उदाहरण है उत्तराखंड, दार्जिलिंग हिल्स, सिक्किम, हिमाचल और कश्मीर। उन्होंने कहा आज पहाड़ों पर जिस मशीनों का प्रयोग हो रहा है वह उसके अनुकूल नहीं है। भारत चीन संबंधों को लेकर कहा कि भारत चीन की सभी चालाकियां समझता है। नीति शास्त्र में भी कहा गया है समय के अनुसार काम करे तो आगे बढ़ सकते है। यह उसी का एक अंश मात्र है। जहां तक अमेरिका के टैरिफ लगाए जाने का मामला है याद कीजिए जब पोखरण विस्फोट भारत ने किया था। अमेरिका तो दूर हमारा मित्र रूस भी हमसे नाराज था। उसके बाद भी भारत तेज गति से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा था। आज तो हमारे साथ कई वैश्विक देश खड़े है। भारत में तो कहावत ही है कि ठोकर लगने से बुद्धि बढ़ती है।
१३० वें संशोधन को लेकर पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि अब बदलता हुआ भारत किसी भ्रष्ट और अपराधी नेता को जेल से सत्ता चलाते नहीं देखना चाहता। बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधि को लेकर कहा कि आप यह भी कल्पना कर सकते है कि आने वाले दिनों में यह अखंड भारत का फिर से हिस्सा हो!कार्यक्रम में आरएसएस के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख जिशनू बसु, सुबीर कुमार घोष, उत्तर बंग प्रचार प्रमुख श्यामा चरण राय, साधन कुमार पाल सिद्धार्थ शंकर राय चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार मानस बनर्जी ने की।

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