काेलकाता: कल्याणी कोर्ट ने साइबर ठगी और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले में ९ दोषियों के विरुद्ध ऐतिहासिक फैसला में कोर्ट ने उन्हें गुरुवार को दोषी करार देने के बाद शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले देश में यह पहला मामला है जब अपराधियों को सजा सुनायी गयी। मोहम्मद इम्तियाज अंसारी, शाहिद अली शेख, शाहरुख रफीक शेख, जतिन अनूप लाडवाल, रोहित सिंह, रूपेश यादव, साहिल सिंह, पठान सुमैया बानू, फल्दू अशोक को भारतीय दंड संहिता की धारा ३१६(२)/३१७(४)/३१८(४)/३१९(२)/३३६(३)/३३८/३४०(२)/३५१(२)/३(५)/६१(२) और आयकर अधिनियम की धारा ६६सी/६६डी के तहत दोषी पाया गया है। मामले में रानाघाट पुलिस ने २ हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस दिन सजा सुनायी। मामले में कुल २९ गवाहों ने गवाही दी, जिनमें से लगभग ६ गवाह भारत के विभिन्न हिस्सों से आए थे। वर्चुअल मोड के माध्यम से एक गवाह की गवाही हुई। साढ़े चार महीने के भीतर सुनवाई पूरी हो गई और शुक्रवार को दोषियों को सजा सुना दी गयी। कल्याणी कोर्ट के सरकारी वकील विभाष चटर्जी और रानाघाट पुलिस जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ धपोला ने कहा कि यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है जब डिजिटल अरेस्ट के अपराध में कोर्ट ने अपराधियों को दोषी करार दिया है। हमें खुशी है कि ऐसे अपराधियों को सजा मिली है।
धोखाधड़ी कंबोडिया से शुरू हुई थी, गिरोह ने सौ करोड़ रुपयों से अधिक की धोखाधड़ी की
गत वर्ष साइबर क्राइम पुलिस में कल्याणी के एक सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक से करीब १ करोड़ रुपये की ठगी की जाने की शिकायत दर्ज करवायी गयी थी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि वह डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुआ था। पीड़ित ने आरोप लगाया था कि १९ अक्टूबर साल २०२४ को पीड़ित को वॉट्सएप नंबर से एक कॉल आया जिसमें कॉलर ने खुद को अंधेरी थाना, मुंबई के एसआई हेमराज कोली के रूप में पेश किया और शिकायतकर्ता को बताया कि वह वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल है और उन मामलों से संबंधित विभिन्न दस्तावेज भी भेजे जिनमें शिकायतकर्ता का नाम आरोपित के रूप में उल्लेखित था। इस संबंध में, धोखेबाज ने पीड़ित को डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया और उसे विभिन्न खातों में पैसे जमा करने के लिए मजबूर किया। इस तरह पीड़ित को एक करोड़ रुपये की राशि के साथ धोखा दिया गया। उन्हें लगभग ७ दिनों तक लगातार डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया गया था। पीड़ित की शिकायत पर साइबर अपराध थाना, कल्याणी, रानाघाट पुलिस थाने में एक विशेष मामला दर्ज किया गया और मामले की जांच के लिए साइबर थाने के एसआई देबारुण दास को सौंप दिया गया। लाभार्थी खातों और इस्तेमाल किए गए फोन नंबरों का बारीकी से विश्लेषण किया गया। जांच के दौरान, यह पता चला कि धोखाधड़ी कंबोडिया से शुरू हुई थी। विभिन्न खातों के माध्यम से पैसे निकाले गए, जिनके खाताधारक भारत के विभिन्न राज्यों में फैले हुए थे। साइबर अपराध पुलिस थाने के अधिकारियों और पुलिस बल की एक टीम संबंधित आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए भारत के विभिन्न राज्यों में गई। पूरी टीम ने लगभग २५ दिनों तक महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान १३ आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। इनमें ३ लोग गुजरात से, ७ लोग महाराष्ट्र से और ३ लोग हरियाणा से गिरफ्तार किये गये। मामले की जांच के दौरान बड़ी संख्या में बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और मोबाइल फोन जब्त किए गये। इस गिरोह के खिलाफ कुल १०८ एनसीआरपी शिकायतें दर्ज की गईं। इन गिरोहों द्वारा लगभग १०० करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की गई, जिसमें इस मामले की एक करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है।