ढाका: कुछ हालिया रिपोर्टों के आधार पर अमेरिका स्थित बांग्लादेशी पत्रकार और ठिकाना न्यूज के प्रधान संपादक खालिद मुहिउद्दीन के साथ १ जुलाई को एक इंटरव्यू में चार मोनाई पीर मुफ्ती सैयद मुहम्मद फैजुल करीम ने कहा कि अगर राष्ट्रीय चुनाव जीतकर सरकार बनती है, तो इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करेगा।
उन्होंने कहा कि ‘अफगानिस्तान की मौजूदा शासन प्रणाली का पालन किया जाएगा।’ करीम ने कहा कि अगर हम सत्ता में आए तो हम जो शरिया कानून लागू करेंगे उसमें हिंदुओं को भी अधिकार मिलेंगे। अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी लागू किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और रूस की अच्छी बातें जो शरिया के विरुद्ध नहीं हैं, उन्हें स्वीकार किया जाएगा।
इस बीच, बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने इस मामले पर अंतरिम सरकार की चुप्पी की तीखी आलोचना की तथा सवाल उठाया कि क्या यह लापरवाही या जानबूझकर मिलीभगत से उपजा है। बढ़ती हिंसा और सांप्रदायिक हमलों पर चिंता जताते हुए पार्टी ने पूछा कि क्या मंदिरों पर हमले, धार्मिक प्रथाओं में व्यवधान, महिलाओं को निशाना बनाना और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का क्षरण तथाकथित जुलाई आंदोलन के असली इरादों को दिखाता है।
पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से बांग्लादेश में चरमपंथी गतिविधियों में तेजी देखी गई है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत कट्टरपंथी समूहों ने खासकर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और उकसावे का सहारा लिया है। इन कट्टरपंथी ताकतों ने चुनी हुई अवामी लीग सरकार को गिराने के आंदोलन में छात्र नेताओं और यूनुस के साथ सहयोग किया था।