माओवादी की सहमति के बाद खुला संसद, आरएसपी ने किया घेराव

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काठमांडू: त्रिभुवन अन्तर्राष्ट्रिय विमानस्थल से भिजिट वीजा की आड़ में चल रही मानव तस्करी और उसमें गृह मंत्रालय की संलग्नता को लेकर बीते कुछ समय से प्रतिनिधिसभा की कार्यवाही अवरुद्ध थी। लेकिन शुक्रवार को मुख्य विपक्षी दल माओवादी केन्द्र ने सत्ता पक्ष से दो बिंदुओं पर सहमति करते हुए संसद की कार्यवाही बहाल की। इसके बाद राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (रास्वपा) ने संसद में वेल घेराव कर विरोध जताया।
एमाले के मुख्य सचेतक महेश बर्तौला और माओवादी प्रमुख सचेतक हितराज पाण्डे ने इस दो बिंदु वाले सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए। इसमें कहा गया कि:
भिजिट वीजा और इमिग्रेशन से जुड़ी अनियमितताओं की छानबीन अख्तियार (सञ्चालन आयोग) कर रहा है, और सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी।
सरकार नीति, कानूनी ढांचे और संस्थागत सुधार के लिए ठोस पहल करेगी।
सहमति के बावजूद संसद शांत नहीं रही। जैसे ही पाण्डे को बोलने का मौका मिला, रास्वपा और राप्रपा सांसदों ने टेबल पीटकर विरोध किया। राप्रपा अध्यक्ष राजेन्द्र लिङ्देन ने माओवादी पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा, “वीरता के साथ आत्मसमर्पण किया गया है। यह गणतंत्र की नहीं, लूटतंत्र की रक्षा का समझौता है।”
रास्वपा सांसद मनीष झाले ने आरोप लगाया कि मानव तस्करी की मुख्य भूमिका गृह मंत्रालय निभा रहा है। उन्होंने पूछा, “जब अख्तियार ने कई बार पत्र लिखा, तब गृह मंत्रालय कहां था? अब जब कार्रवाई शुरू हुई तो रातोंरात कर्मचारी क्यों हटाए गए l
गृहमन्त्री रमेश लेखक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को “षड्यंत्र” और “राजनीतिक हमला” बताया। उन्होंने कहा कि उनकी कोई संलिप्तता नहीं है, और वे अख्तियार की जांच में पूरा सहयोग देंगे। लेखक ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ दलों के कार्यालयों में नकली पीड़ित खड़ा कर उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की जा रही है।
रास्वपाका उपसभापति स्वर्णिम वाग्ले ने कहा कि कांग्रेस के समक्ष रखे गए पाँचबुँदे प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि “यह एक उधारो (अस्थायी और खोखला) समझौता है,” और रास्वपा इसमें शामिल नहीं हो सकता।
माओवादी अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल ने कहा कि रास्वपा से मूलभूत मुद्दों में कोई मतभेद नहीं है, केवल रणनीतिक भिन्नता है। वहीं एमाले सचिव योगेश भट्टराई ने रास्वपा के कदम को अपरिपक्व बताया।
इस प्रकार, संसद की कार्यवाही तकनीकी रूप से बहाल हुई है, लेकिन विपक्षी असहमति और वेल घेराव ने यह दिखाया कि भिजिट वीजा प्रकरण अभी भी नेपाल की राजनीति का सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है।
मुख्य बिंदु:
माओवादी और सत्ता पक्ष में दो बिंदु पर सहमति
रास्वपा और राप्रपा का विरोध जारी
गृहमन्त्री रमेश लेखक ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज किया
रास्वपा ने उच्चस्तरीय निष्पक्ष छानबीन की मांग दोहराई

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