कालेम्पोंग: विश्व संवाद केंद्र उत्तर बंगाल, कालेम्पोंग इकाई द्वारा २९ मई २०२५ को देवर्षि नारद जयंती समारोह एवं पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कालेम्पोंग स्थित जी.डी.एन.एस. हॉल में देवर्षि नारद जयंती समारोह एवं पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सम्मान समारोह में १०० से अधिक गणमान्य व्यक्ति एवं एक दर्जन से अधिक पत्रकार उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्याम दहाल ने अतिथियों का परिचय कराकर उत्साह एवं उमंग के साथ किया। ३९ वर्षों से पत्रकारिता कर रहे एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले प्रख्यात पत्रकार अरुण कुमार रसैली को वर्ष २०२५ के नारद जयंती पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। १४ नवंबर १९६० को जन्मे अरुण कुमार रसैली का कला एवं पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ाव बचपन से ही स्पष्ट है। अरुण कुमार रसाईली पहाड़ में पत्रकारिता के क्षेत्र में न सिर्फ एक विरासत थे, बल्कि वे कई फिल्मों में अभिनेता और हास्य अभिनेता भी थे। और कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर राजेंद्र भंडारी ने की, और मुख्य वक्ता डॉ विश्व प्रतिमा रुद्र थे। मुख्य अतिथि श्री मानस बनर्जी थे। कार्यक्रम का उद्देश्य और स्वागत भाषण डॉ समीर कुमार घोष ने दिया। अपने स्वागत भाषण में डॉ समीर कुमार घोष ने कहा कि भारत दुनिया के सभी देशों का स्रोत और प्रेरणा है। चाहे वह संस्कृति, विज्ञान, परंपरा, राजनीति या पत्रकारिता का क्षेत्र हो, दूसरे देशों के लोग भारत से सीख रहे हैं। लेकिन आजकल हमारी संस्कृति, परंपरा, विज्ञान और पत्रकारिता पर उन तत्वों के कारण हमला हो रहा है, जो “हमारा देश” और “मेरा देश” कहना बंद कर दूसरे देशों का गुणगान कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इन सभी नकारात्मक तत्वों को हराने के लिए विश्व संवाद केंद्र की स्थापना की गई थी। उन्होंने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि विश्व संवाद केंद्र आज देवर्षि नारद जयंती समारोह और पत्रकार सम्मान कार्यक्रम का भव्य आयोजन कर रहा है। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. विश्व प्रतिमा रुद्र ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि भारत त्योहारों का देश है। हर दिन देश के किसी न किसी कोने में कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। हमारा जीवन त्योहारों से भरा हुआ है। भारत परंपराओं का देश है, संस्कृति का स्रोत है। आज के परिप्रेक्ष्य में देश और समाज के प्रति पत्रकारों की भूमिका और जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। देवर्षि नारद एक सच्चे और ईमानदार पत्रकार थे, वर्तमान पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता का अनुसरण करना चाहिए। देवर्षि नारद ने हमारे देश के पत्रकारों के साथ-साथ दुनिया के हर पत्रकार को प्रेरित किया है। हमें उनके चरित्र का अध्ययन और अनुसरण करना चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ. विश्व प्रतिमा रुद्र ने कहा कि इस तरह के आयोजन का यह एक शानदार अवसर है। देवर्षि नारद समकालीन पत्रकारिता के उदाहरण हैं और वे हर चीज के गुरु थे। वे हर पत्रकार के लिए मार्गदर्शक हैं। हमें उनका अनुसरण करना चाहिए। २५ वर्षों से विश्व संवाद केंद्र पत्रकारों को सम्मानित करने का काम कर रहा है। देवर्षि नारद पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार अरुण कुमार रसैली ने भी पत्रकारिता से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि यह सम्मान पाकर उन्हें बेहद खुशी हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि सभी पत्रकार मित्रों के लिए है। पत्रकारिता सम्मान पाने के लिए नहीं, बल्कि सच्ची और ईमानदार खबरें देने के लिए की जाती है, जिससे समाज का उत्थान हो। उन्होंने सभी पत्रकारों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि अगर हम अच्छा काम करेंगे, तो सम्मान हमारे पीछे-पीछे आएगा। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र भंडारी ने कहा कि यह देश एक हजार साल तक विदेशियों के हाथों में था, उन्होंने हमारी कला, संस्कृति और परंपराओं को रौंदने की कोशिश की, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। उन्होंने सभी का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि अब हम सब कुछ वापस ले आए हैं। इस वर्ष के देवर्षि नारद सम्मान-२०२५ में सम्मानित व्यक्तियों का परिचय और पत्र वाचन मोतीखर कोइराला ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन महेश गुप्ता ने किया।