प्रदीप कुमार नायक(स्वतंत्र पत्रकार)
अजमेर मिल्ट्री स्कूल का नाम! दुनिया भर में रौशन करने अजीत डोभाल को कितना जानते हैं आप?
भारत का असली जेम्स बांड अजीत डोभाल कभी अजमेर में पढ़ाई किया करता था। हां, वही डोभाल जिसे आज भी मोदी जी का दिमाग़ कहा जाता है। वह भारत के रक्षा सलहकार हैं। पंद्रह साल तक पाकिस्तान में मुसलमान बन कर रह चुके हैं। पहलगाम के नरसंहार में आतंकवादी हरामियों ने निर्दोष पर्यटकों की पतलून उतरवाकर देखा कि वह किस धर्म के है? दूसरी तरफ़ डोभाल साहब पंद्रह साल मुसलमान बन कर पाकिस्तान में जासूसी करते रहे और उनकी पतलून बराबर मुस्लिम बनी रही। वह पाकिस्तान में भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ‘रॉ ‘ के अंडर कवर एजेंट के रूप में लाहौर की आबोहवा से दोस्ती करते रहे।
अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के घिरी बनेलस्यूं गांव में एक गढ़वाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। डोभाल के पिता भारतीय सेना में सेवारत थे।
उनकी प्राथमिक शिक्षा अजमेर के मिल्ट्री स्कूल में हुई। उनको पढ़ाने वाले कोई भी शिक्षक अब ज़िन्दा नहीं लेकिन स्कूल के पुराने क्लास रूम्स और खेल के मैदान उनको आज भी याद करते हैं। वह कुशाग्र बुद्धि के छात्र और फुटबाल के अद्दभुत खिलाड़ी माने जाते थे।
यहां आपको बता दूँ कि उन्होंने वर्ष १९७२ में अरुणि डोभाल से विवाह किया। उनके दो पुत्र यश और विवेक हैं।
वह शुरू में आई पी एस के रूप में चुने गए और बाद में अपने सरकारी किरदार बदलते रहे।
एक जासूस और खुफिया अधिकारी के रूप में, उन्होंने पाकिस्तान में एक साल तक आईबी के अंडरकवर जासूस के रूप में काम किया, जिसके बाद उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में एक अधिकारी के रूप में छह साल तक काम किया।
डोभाल १९८८ में । यह ऑपरेशन पूरे विश्व मे आज भी ताज़्ज़ुब के साथ याद किया जाता है।
उनकी उपलब्धियों में २०१५ में ऑपरेशन हॉट परस्यूट , पीएफआई की तोड़फोड़ और कई अन्य भारतीय खुफिया और सैन्य अभियान शामिल हैं।

उन्होंने २००९ में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की , जो एक दक्षिणपंथी थिंक टैंक है, जिसका नेतृत्व उन्होंने एनएसए के रूप में अपनी नियुक्ति तक किया।
अजीत डोभाल को भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार (शांति काल) और कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। अजीत, सैन्य सम्मान पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं।
यहां आपको एक और जानकारी दे दूं। भारतीय सेना के कभी प्रमुख और प्रमुख रक्षा सलाहकार रहे स्व. विपिन रावत भी अजमेर मिल्ट्री स्कूल के ही छात्र रहे थे।
