नयाँ दिल्ली: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदी नागरिकों के दमन में एम्सटर्डम शहर की भूमिका को लेकर मेयर फेम्के हाल्सेमा ने औपचारिक माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने ‘अपने यहूदी नागरिकों को बुरी तरह से निराश किया।’ इज़राइल के होलोकॉस्ट स्मृति दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रख रहीं हाल्सेमा ने स्वीकार किया कि शहर के प्रशासनिक अधिकारियों ने हजारों यहूदी नागरिकों के कत्ल में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में एम्स्टर्डम में लगभग 80 हजार यहूदी रहते थे, जिनमें से केवल 20हजार ही जीवित बच सके। प्रसिद्ध किशोरी डायरी लेखिका ऐनी फ्रैंक इनमें से ही एक थी। नरसंहार में केवल उनके पिता ओत्तो ही जीवित बच पाए थे और फिर उन्होंने अपनी बेटी की डायरियां प्रकाशित करवाई थीं। हाल्सेमा ने अपने भाषण में कहा, ‘शहर प्रशासन न तो नायक था, न ही दृढ़ और न ही दयालु। उसका अपने यहूदी नागरिकों के साथ व्यवहार बहुत बुरा था।’
उन्होंने यह भी बताया कि यहूदी नागरिकों की पहचान, पंजीकरण और निवास स्थलों को चिन्हित करने में नगर निकाय की भूमिका रही। यह माफी ऐसे समय में आई है जब नाजियों से नीदरलैंड्स की मुक्ति की 80वीं वर्षगांठ निकट है। इससे पहले भी वर्ष २०२० में डच प्रधानमंत्री मार्क रुट्टे और कुछ डच संगठनों ने माफी मांगी थी। वर्ष २००५ में डच रेलवे ने भी अपनी भूमिका स्वीकार करते हुए क्षतिपूर्ति की घोषणा की थी। हाल्सेमा चार साल पहले दास व्यापार में एम्सटर्डम की भूमिका के लिए भी माफी मांग चुकी हैं।