समाचार बिश्लेषण
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से पूरा भारत सन्न है और हर कोई भारत सरकार से आतंकियों को करारा जवाब देने की मांग कर रहा है। इस नृशंस हमले में नेपाल का भी एक नागरिक मारा गया है। सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पहलगाम अटैक के संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि इस हमले का मास्टर माइंड लश्कर–ए तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है । इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर–ए–तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। इस बीच, पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि इस हमले में हमारा कोई हाथ नहीं है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) पहलगाम में जांच के लिए पहुंच गई है।
इंटेलिजेंस एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि २ आतंकी पाकिस्तान के थे। ४ आतंकियों की वायरल फोटो में से एक पाकिस्तानी आतंकी बताया जा रहा है। यह द रेजिस्टेंस फ्रंट ँत् मूसा कैडर का आतंकी है। इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि पहलगाम अटैक में दो फॉरेन टेररिस्ट और दो लोकल आतंकी शामिल थे। सूत्रों ने कहा कि पहलगाम हमले का मास्टर माइंड सैफुल्लाह खालिद है। यह पाक अधिकृत कश्मीर (POK) से ऑपरेट करता है। इसकी लोकेशन रावलकोट बताई गई है। सैफुल्लाह ने एक महीने पहले हमले की चेतावनी भी दी थी। इसका २०१९ का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। इस वीडियो में सैफुल्लाह ने कहा था कि कश्मीर का मसला ठंडा नहीं होने देना है।
जहाँ यह कहा जाता है कि किसी आतंकी का के मजहब नहीं होता वहीं इस घटना में धर्म पूछ–पूछ कर निशाना बनाया गया है। आतंकियों ने पहलगाम के बैसरन घूमने आए पर्यटकों को उनका नाम और धर्म पूछकर निशाना बनाया। आज सिर्फ २७ लोग नहीं मरे हैं बल्कि २७ घर उजड़ गए हैं। पहलगाम पर हुए इस हमले से यह तो साफ जाहिर हो रहा है कि कश्मीर की सुधरती हालत पाकिस्तान को बर्दास्त नहीं हो रहा जिसमें उसका साथ भारत के गद्दार भी दे रहे हैं। घटना के बाद जिस तरह पर्यटक कश्मीर छोड़ रहे हैं वह बताता है कि कश्मीर की आर्थिक हालत को चोट पहुँचाना ही आतंकियों का मकसद था। अगर कश्मीरवासी इस बात को समझ जाएँ तो शायद वो खुद के लिए स्वयं स्टैण्ड ले सकते हैं। या एक बार फिर पत्थरवाजों के हवाले अपनी संतान को सुपुर्द कर दें। घटना बहुत बड़ी है। मर्माहत करने वाली है पर यह भी सच है कि भारत इस दर्द से भी उबरेगा और मजबूत कदम उठाएगा।
भारत की जनता अपने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सेना पर नजर टिकाए हुए है। फिलहाल इस हमले के बाद से पहलगाम के पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है। भारत के प्रधानमंत्री अपने यूएई के दौरे को छोड़ कर वापस आ गए हैं। इन सारे घटनाक्रम के बीच पाक आर्मी चीफ का एक बयान काफी ज्यादा सुर्खियों में आ गया है, जिसमें उसने हिन्दुओं को लेकर बयान दिया था। पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर ने कुछ दिनों पहले एक बयान दिया था, जिसमें उसने कश्मीर को इस्लामाबाद के ’गले की नस’ बताया था। अब पहलगाम हमले के बाद लगातार ये सवाल उठ रहा है कि असीम मुनीर ने आतंकियों को हिन्दुओं के खिलाफ भड़काने का काम किया था। अपने बयान में मुनीर ने बंटवारे का जिक्र करते हुए हिन्दुओं को मुस्लिमों से अलग बताया था और कहा था कि हम साथ नहीं रह सकते हैं। अब ऐसा माना जा रहा है कि मुनीर के इसी बयान ने आतंकियों को हिन्दुओं पर हमला करने के लिए प्रेरित किया, खासकर तब जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर हैं। पाक आर्मी चीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी में विदेश में रह रहे पाकिस्तानियों के साथ एक बैठक में भारत और हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने वाला बयान दिया था। मुनीर ने जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के दावे को दोहराया था और टू–नेशन थ्योरी का बचाव किया था, जिसके कारण १९४७ में भारत का बंटवारा हुआ था और पाकिस्तान बना था।
बैठक को संबोधित करते हुए असीम मुनीर ने वहां मौजूद भीड़ से कहा था, “हमारा रुख एकदम साफ है, यह हमारी गर्दन की नस थी और यह हमारी गर्दन की नस रहेगी। हम इसे नहीं भूलेंगे और हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे।”
मुनीर ने कहा, “हिन्दुओं और मुसलमानों के बीत बहुत अंतर है और पाकिस्तान के मुसलमान हर तरह से हिन्दुओं से अलग हैं। हमारे विचार और हमारी महत्वकांक्षाएं अलग–अलग हैं। यहीं से टू–नेशन थ्योरी की बुनियाद रखी गई और हम एक नहीं दो राष्ट्र हैं।”
यह वही असीम मुनीर है जिसका नाम पिछले छह सालों में भारत पर हुए बड़े आतंकी हमलों के पीछे बार–बार उभरकर सामने आ रहा है। यह वर्तमान में पाकिस्तानी सेना का जनरल है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पठानकोट अटैक, २०१९ के पुलवामा हमले से लेकर २०२५ में पहलगाम में हुए ताजा आतंकी हमले तक, हर बड़ी साजिश को हरी झंडी देने वाला यही शख्स है। मुनीर का आतंकी संगठनों से गहरा नाता और भारत के खिलाफ उनकी नफरत पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को दिखाती हैं।
१९६८ में पाकिस्तान में जन्मे असीम मुनीर को कट्टरपंथी विचारधारा के लिए जाना जाता है। उनके परिवार को स्थानीय स्तर पर ‘हाफिज परिवार’ कहा जाता है, क्योंकि परिवार के कई सदस्यों को कुरान पूरी तरह कंठस्थ है। मुनीर ने भी लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में सऊदी अरब में तैनाती के दौरान कुरान याद किया था। २५ अक्टूबर २०१८ को तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यकाल में उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोशन देकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का प्रमुख बनाया गया। यहीं से भारत के खिलाफ उनकी साजिशों का सिलसिला शुरू हुआ।
गौरतलब है कि जिस कश्मीर को लेकर असीम मुनीर का यह कहना है कि वो भारत के कश्मीरवासियों का साथ नहीं छोड़ेंगे वही कश्मीर आज पाकिस्तान मुर्दावाद का नारा लगा रहा है। नफरत की आग फैलाने वाले पाकिस्तान को यह समझना होगा कि गीदड़भभकी और कायरतापूर्ण हरकतों से वह कुछ हासिल नहीं कर सकता। हाँ वैश्विक स्तर पर अपनी आतंकवादी छवि को अवश्य पुष्ट कर सकता है।
पहलगाम हमले में दो पाकिस्तानी आतंकीयों समेत चार टेररिस्ट के शामिल होने की बात सामने आई है। सुरक्षा एजेंसियों ने तीन आतंकियों के स्केच भी जारी किए हैं और सर्च ऑपरेशन चलाकर उनकी तलाश की जा रही है।
हमला करने वाले दो आतंकी पश्तो भाषा में बात कर रहे थे, जिससे साफ होता है कि वो पाकिस्तानी नागरिक हैं। दो स्थानीय आतंकियों की भी पहचान हुई है, इनके नाम आदिल अहमद और आशिफ शेख बताए गए हैं।
भारत बाहरी आतंक से तो लड़ सकता है किन्तु अपने ही देश में बैठे जयचंदों से कैसे लड़ेगा? जहाँ संजय राउत जैसे नेता हैं जो इस वक्त भी राजनीति की रोटी सेकने में व्यस्त हैं और इस हमले के लिए भाजपा की नफरत की राजनीति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। और यह कह रहे हैं कि सरकार बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर इस हमले का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की बात कर सकती है। उन्होंने कहा कि शाह को अब एक दिन भी गृह मंत्री के पद पर रहने का हक नहीं है। संजय राउत का यह बयान कितना गैरजिम्मेदाराना हैं। जब सीमा पर २७ लाशें पड़ी हुई थीं तब संजय राउत ऐसी बाते कर रहे हैं। भारत को जितना खतरा बाहर से है उससे अधिक भीतर से है। जो भी हो समय इस बात का अवश्य है कि आतंकवाद के खिलाफ विश्व को एक साथ आगे आना चाहिए। सिर्फ अफसोस जताने के लिए नहीं बल्कि विश्व को आतंकवाद का जड़ से सफाया करने के लिए साथ आना चाहिए।