गवर्नर नियुक्ति विवाद: राजनीतिक सौदेबाजी और न्यायिक हस्तक्षेप का जटिल मे

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काठमांडू: नेपाल राष्ट्र बैंक में नए गवर्नर की नियुक्ति को लेकर देश में एक नया विवाद गहराता जा रहा है। यह मामला केवल प्रशासनिक या तकनीकी नहीं रहा, बल्कि अब यह संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक बहस का केन्द्र बन चुका है।
गुणाकर भट्ट का नाम और न्यायालय में रिट
राष्ट्र बैंक के कार्यकारी निदेशक डॉ. गुणाकर भट्ट को गवर्नर नियुक्त करने की चर्चा मात्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर हुई है। अधिवक्ताओं प्रतिभा उप्रेती और विशाल थापा ने दावा किया है कि भट्ट को गवर्नर नियुक्त करना नियमों का उल्लंघन होगा और इससे सुशासन पर आघात लगेगा। उनका कहना है कि भट्ट की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद ४४ (गुणस्तरीय सेवा का अधिकार), अनुच्छेद ३३ (रोजगार का अधिकार), तथा अनुच्छेद २५ (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करती है।
कानूनी अड़चनें और नियुक्ति प्रक्रिया
नेपाल राष्ट्र बैंक अधिनियम, २०५९ की धारा १५ के अनुसार, गवर्नर पद के लिए आर्थिक, मौद्रिक, बैंकिंग, वित्तीय या कानून के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति का चयन होना चाहिए, और उसे डिप्टी गवर्नर या ऐसे ही उच्च पद पर कार्य कर चुके लोगों में से चुनना चाहिए। कार्यकारी निदेशक जैसे पद से सीधे गवर्नर की नियुक्ति की स्पष्ट परिकल्पना अधिनियम में नहीं है।
इसके अतिरिक्त, 65 वर्ष की आयुसीमा को लेकर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य रिट लंबित है, जिसमें मांग की गई है कि इस सीमा को हटाने वाला संशोधन रद्द किया जाए। कोर्ट ने इस विषय में पहले से ही एक अंतरिम आदेश जारी कर दिया है।
राजनीतिक सहमति और भागबन्डा संस्कृति
इस बीच यह भी सामने आया है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस के सभापति शेरबहादुर देउवा के बीच गवर्नर पद के बंटवारे को लेकर सहमति बनी है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने गुणाकर भट्ट का नाम प्रस्तावित किया और ओली ने उस पर सहमति जता दी। यह सहमति, सत्तारूढ़ गठबंधन में पदों के बँटवारे की पुरानी ‘भागबन्डा संस्कृति’ की पुष्टि करती है।
पूर्व मंत्री का आरोप– “अर्थतन्त्रमा चलखेल”
पूर्व वित्त मंत्री वर्षमान पुन ने यह दावा किया है कि गवर्नर की नियुक्ति में “बड़ा आर्थिक खेल” हो रहा है। उन्होंने कहा कि नियामकीय पदों को निजी स्वार्थ और बिचौलियों के लिए सौंपा जा रहा है, और गवर्नर जैसे संवेदनशील पद के लिए अरबों की डील की खबरें आ रही हैं। यह गंभीर आरोप इस पूरी प्रक्रिया को और संदिग्ध बनाता है।
क्या कहती है भट्ट की योग्यता?
डॉ. गुणाकर भट्ट की शैक्षणिक पृष्ठभूमि मजबूत है। उन्होंने अमेरिका के वेन स्टेट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी और स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा उनके पास विलियम्स कॉलेज से भी स्नातकोत्तर उपाधि है। वे त्रिभुवन विश्वविद्यालय से एमबीए में ‘गोल्ड मेडलिस्ट’ भी रह चुके हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल शैक्षणिक योग्यता ही पर्याप्त है, जब नियुक्ति की प्रक्रिया और मंशा पर सवाल उठ रहे हों?


अंतमें…
गवर्नर नियुक्ति का यह विवाद केवल एक व्यक्ति की नियुक्ति तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि क्या नेपाल की संवैधानिक संस्थाएं राजनीतिक सौदेबाजी की शिकार हो रही हैं? क्या देश की सर्वोच्च बैंक में नेतृत्व चयन की प्रक्रिया पारदर्शी और कानून सम्मत हो रही है? और सबसे बड़ा सवाल यह कि जब शीर्ष राजनीतिक नेता किसी नियुक्ति पर सौदेबाजी करें, तो न्यायपालिका किस हद तक उसमें हस्तक्षेप कर सकती है?
रविवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर होने वाली सुनवाई न केवल गवर्नर नियुक्ति बल्कि देश की शासन प्रणाली की दिशा तय करने वाली साबित हो सकती हैंl

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