कोलकाता: सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से नौकरी गंवाने वाले छह हजार से ज्यादा शिक्षाकर्मी गुरुवार को हताश हो गए। उनको यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अब क्या करें। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पीठ ने कहा है कि कक्षा ९-१० और ११-१२ के जो शिक्षक दागी या अयोग्य नहीं हैं, वे स्कूल जा सकेंगे लेकिन शिक्षाकर्मियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कोई टिप्पणी नहीं की है। इस स्थिति में शिक्षाकर्मियों के पास सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने के अलावा अन्य कोई चारा नहीं बचा है।
कोई शिकायत और आरोप नहीं फिर भी चली गई नौकरी
लक्ष्मी सागर हाई स्कूल, बांकुड़ा जिले के शिमलापाल ब्लॉक के शिक्षाकर्मी अरिजीत मंडल ने बताया कि उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है। उन्होंने परीक्षा पास की है। मेरिट लिस्ट में उनका नाम है। सीबीआई ने भी उनके खिलाफ कुछ नहीं पाया है। सीबीआई की सूची में उनका नाम भी नहीं है। फिर भी वे नौकरी से हाथ धो बैठे हैं। उनके साथ सरासर अन्याय हुआ है। उनके साथ ही उनके स्कूल के तीन अन्य शिक्षाकर्मियों की भी नौकरी चली गई है जबकि उनके खिलाफ भी कोई आरोप नहीं है। उनका कहना है कि सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि बांकुड़ा जिले के १००५ शिक्षाकर्मियों की नौकरी चली गई है। इन सभी के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। ये सभी शिक्षाकर्मी गुरुवार को भी धर्मतला में धरने पर बैठे रहे। धरने पर बैठने वालों में बांकुड़ा जिले के मोशियारी हाई स्कूल, धवन नेताजी विद्यापीठ माध्यमिक विद्यालय, गंगाजल घाटी हाईस्कूल के अलावा बीरभूम, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, उत्तर चौबीस परगना समेत विभिन्न जिलों के सैकड़ों शिक्षाकर्मी शामिल हैं।
शिक्षा कर्मी ही देखते हैं पीएफ, पेंशन, ऑडिट से लेकर मिड डे मील का काम
धवन नेताजी विद्यापीठ माध्यमिक विद्यालय के शिक्षाकर्मी रिजु मंडल ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में पीएफ, पेंशन, ऑडिट से लेकर मिड डे मील का कामकाज पूरी तरह से शिक्षाकर्मी ही देखते हैं। विद्यार्थियों को कन्याश्री, ओएएसआईएस, सबुज साथी, तरुण स्वप्न जैसी राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में इन शिक्षाकर्मियों की ही प्रमुख भूमिका होती है। यदि शिक्षाकर्मी ही नहीं होंगे तो विद्यार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में काफी परेशानी होगी। राज्य सरकार के आईओएसएमएस पोर्टल पर कर्मियों का वेतन बनाकर अपलोड करने से लेकर एनजीआईपीएफ पोर्टल से पीएफ बनाने का काम शिक्षाकर्मी ही करते हैं। यही नहीं विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ पाने वाले विद्यार्थियों के बैंक के पास बुक, आधार अपडेट और उन्हें अपलोड करने का काम भी शिक्षाकर्मी ही करते हैं। ज्यादातर स्कूलोंj में लैब अटेंडेंट शिक्षाकर्मी ही हैं। इनके नहीं होने के कारण विज्ञान संकाय के प्रैक्टिकल का काम बंद हो गया है।