झापा(नेपाल): चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के अवसर पर महावीर जयंती और अहिंसा दिवस मनाया जा रहा है।
आज ही के दिन २६२३ वर्ष पूर्व उनका जन्म वैशाली के क्षत्रिय कुंडग्राम के शासक राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र के रूप में हुआ था।
ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने ३० वर्ष की आयु में राजसी सुख-सुविधाओं का त्याग कर कठोर साधना शुरू कर दी थी। जैन धर्म के जानकारों का कहना है कि १२ वर्ष ६ माह की कठोर तपस्या के बाद सिद्धि प्राप्त कर उन्होंने स्वयं को मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था।
इसे मूलतः भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, अपरिग्रह और अनंत के सिद्धांतों के रूप में माना जाता है। उन्होंने शांति, अहिंसा और साहस पर विशेष जोर दिया है।
महावीर जयंती के अवसर पर अध्यक्ष रामचंद्र पौडेल ने विचार व्यक्त किया है कि यदि हम अहिंसा और संयम के उत्कृष्ट आचरण का पालन करें तथा लोक कल्याण के लिए महावीर द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करें तो धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बीच सामंजस्य कायम रखा जा सकता है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महावीर जयंती सभी को सभ्य और सुसंस्कृत समाज के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगी।
उपाध्यक्ष राम सहाय प्रसाद यादव ने विचार व्यक्त किया है कि पंचशील सिद्धांत के प्रतिपादक महावीर का जीवन अहिंसा, सत्य, करुणा और समानता का संदेश देता है।
उनका मानना है कि यह दिन मानव जीवन में शांति, सद्भाव और मित्रता फैलाने में मदद करेगा।