सिक्किम की पहाड़ियों पर तैनात हुआ भारतीय सेना का ‘बाहुबली’, देखकर कांप उठेगा दुश्मन

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नई दिल्ली: भारतीय सेना ने अपनी तोपखाने की ताकत बढ़ाने के लिए सिक्किम जैसे इलाकों में भीएमआईएमएस तैनात किया है। भीएमआईएमएस का मतलब व्हीकल माउंटेड इन्फैंट्री मोर्टार सिस्टम है। यह व्यवस्था ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत की गई है। यह भारत की रक्षा तकनीक में एक बड़ी उपलब्धि है। यह तैनाती २०२४ के अंत तक पूरी हो जाएगी। इससे सेना को दूरदराज के इलाकों में त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
सिक्किम में भारतीय सेना तैनात भारतीय सेना ने सिक्किम जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में वीएमआईएमएस को तैनात किया है।
भारतीय सेना की त्रि-शक्ति कोर ने ट्वीट किया, “भारतीय सेना ने सिक्किम में व्हीकल माउंटेड इन्फैंट्री मोर्टार सिस्टम (भीएमआईएमएस) तैनात किया है। यह आत्मनिर्भर प्रणाली गतिशीलता, त्वरित प्रतिक्रिया और घातकता को बढ़ाती है, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा तैयारी मजबूत होती है।”
इस तैनाती से सेना दूरदराज के इलाकों में भी तेजी से कार्रवाई कर सकती है। इससे भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूती मिलेगी।
व्हीकल माउंटेड इन्फैंट्री मोर्टार सिस्टम क्या है?
यह एक प्रणाली है जिसके ऊपर ८१ मिमी की बंदूक लगी होती है। इस तोप को एक विशेष वाहन पर लगाया गया है। इस गाड़ी को एएलएसभी((ALSV)
यानी आर्मर्ड लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल कहा जाता है। भारत में इसे ‘आर्मडो’ के नाम से जाना जाता है। इससे तोपखाने को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है और तेजी से हमला किया जा सकता है.
भीएमआईएमएस के विशेष लाभ क्या हैं?
पहला लाभ एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की क्षमता है। एएलएसभी से लैस होने के कारण इसे उबड़-खाबड़ रास्तों पर भी आसानी से चलाया जा सकता है। किसी भी ऑपरेशन पर तत्काल प्रतिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है।
दूसरा, इसे बहुत तेजी से तैनात किया जा सकता है। अलक्रान-एल मोर्टार प्रणाली स्वचालित है, इसलिए इसे तुरंत स्थापित और दागा जा सकता है।


तीसरा, इससे मारक क्षमता बढ़ती है। ८१ मिमी मोर्टार दुश्मन के ठिकानों को आसानी से निशाना बना सकते हैं।
भीएमआईएमएस को महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड (MDSL) और मिलानियन एनटीजीएसद्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य को दर्शाता है। इस प्रणाली को भारत की गणतंत्र दिवस परेड में भी प्रदर्शित किया गया था।
इससे पता चलता है कि ये सिस्टम भारतीय सेना के लिए कितना अहम है।

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