असम: आग्सु की स्वर्ण जयंती: ५० वर्षों की सेवा और संघर्ष

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गुवाहाटी: अखिल असम गोरखा छात्र संघ (आग्सु) ने असम में गोरखा समुदाय की सेवा करते हुए अपने स्वर्णिम ५० वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर दार्जिलिंग पहाड़, तराई, डुवर्स तथा पूरे भारत के गोरखाओं की ओर से संगठन को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी गई हैं।
२६ दिसंबर १९७५ को स्थापित आग्सु आज असम के गोरखा समुदाय के लिए एकता, सशक्तिकरण और अधिकारों की मजबूत आवाज बन चुका है। स्थापना के समय से ही संगठन ने शिक्षा, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर गोरखा समुदाय की समस्याओं को उठाया है।
आग्सु ने असम में फैले गोरखा समाज की पहचान को सुरक्षित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। विभिन्न पर्वों, उत्सवों और कार्यक्रमों के माध्यम से संगठन ने गोरखा संस्कृति, भाषा और विरासत के संरक्षण एवं प्रचार में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
आधुनिकीकरण के बावजूद आग्सु ने गोरखा समाज की भाषा, परंपराओं और इतिहास को जीवित रखने में सफलता प्राप्त की है। साथ ही, अन्य समुदायों के साथ मिलकर भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करते हुए असम की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचना में गोरखाओं के लिए समान और न्यायपूर्ण स्थान सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।
आज आग्सु एक प्रभावशाली परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरा है, जो गोरखा समुदाय को एकजुट कर उज्ज्वल भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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