कोलकाताः कोलकाताः निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया जिसमें अधिकारियों ने बताया कि मृत्यु, पलायन और गणना प्रपत्र जमा न करने सहित विभिन्न कारणों से 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन नामों को हटाने के बाद राज्य की मसौदा मतदाता सूची में ७,०८,१६,६३१ मतदाताओं के नाम होने की उम्मीद है, जो एसआईआर से पहले मतदाताओं की संख्या ७,६६,३७,५२९ से ५८,२०,८९८ कम है।
राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने की संभावना को देखते हुए मतदाता सूची का मसौदा, बूथवार विस्तृत सूची, जिसमें हटाए गए मतदाताओं के नाम और हटाने के कारण शामिल हैं, पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की वेबसाइट, निर्वाचन आयोग के मतदाता पोर्टल और ईसीआईएनईटी ऐप पर उपलब्ध करा दिए गए हैं। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रभावित मतदाताओं के लिए सुनवाई प्रक्रिया लगभग एक सप्ताह में शुरू हो जाएगी।
सबसे ज्यादा मृत लोग पाये गये थे वोटर:
जारी आंकड़ों के अनुसार, कुल ५८,२०,८९८ नाम मसौदा सूची से हटाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा २४,१६,८५२ लोग मृत पाए गए, जबकि १९,८८,०७६ लोग स्थानांतरित हो चुके थे। इसके अलावा १२,२०,०३८ लोग लापता, १,३८,३२८ नाम डुप्लीकेट और ५७,६०४ अन्य श्रेणी में पाए गए। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।
हटाये गये लोगों के नाम २०२५ की सूची में शामिल थे:
अधिकारी ने बताया कि मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन और सुनवाई शुरू होने के बीच का अंतराल सुनवाई नोटिसों की छपाई, संबंधित मतदाताओं को नोटिस भेजने और चुनाव आयोग के डेटाबेस पर उनका ‘डिजिटल बैकअप’ बनाने के कारण होगा। आयोग के अनुसार, हटाए गए मतदाताओं की सूची में वे नाम शामिल हैं जो जनवरी २०२५ की मतदाता सूची में थे लेकिन एसआईआर के बाद की मसौदा मतदाता सूची में दिखाई नहीं देते हैं। हटाए गए नामों की सूची एक अलग पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध है, जिससे मतदाता यह जांच सकते हैं कि उनके या परिवार के सदस्यों के नाम हटाए गए हैं या नहीं और किस श्रेणी के अंतर्गत। आयोग के सूत्रों ने बताया कि मुख्य रूप से हटाए गए नाम इकट्ठा नहीं किए जा सके एसआईआर गणना प्रपत्र से संबंधित हैं, जिनकी संख्या 58 लाख से अधिक थी।
२४ लाख से अधिक मतदाता ‘मृत’ चिह्नित:
इन मामलों में ऐसे मतदाता शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, या जो अपने पंजीकृत पते से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए, या जिनका पता नहीं लगाया जा सका, या जो एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में दोहरे मतदाता के रूप में दर्ज थे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय द्वारा गत सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, जहां २४ लाख से अधिक मतदाताओं को ‘मृत’ चिह्नित किया गया है, वहीं १२ लाख से अधिक मतदाताओं का उनके पंजीकृत पते पर पता नहीं चल सका, लगभग २० लाख मतदाता अपने पिछले निर्वाचन क्षेत्रों से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं और १.३८ लाख मतदाताओं के नाम दो बार दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि गणना के दौरान सामने आई अन्य जटिलताओं के आधार पर ५७,००० से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन हटाए गए नामों के बाद मसौदा मतदाता सूची में पूरे राज्य में ७,०८,१६,६३१ मतदाताओं के नाम हो सकते हैं।
१५ जनवरी तक आपत्तियां होंगी दर्ज:
निर्वाचन आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि मसौदा मतदाता सूची से नाम हटाए जाने का मतलब प्रभावित मतदाताओं के लिए चुनाव प्रक्रिया का अंत नहीं है। आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पीड़ित व्यक्ति मसौदा सूची के प्रकाशन के बाद १६ दिसंबर, २०२५ से १५ जनवरी २०२६ तक दावों और आपत्तियों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित अवधि के दौरान घोषणा पत्र और सहायक दस्तावेजों के साथ प्रपत्र-६ में अपने दावे प्रस्तुत कर सकते हैं।’’ पश्चिम बंगाल के लिए विशेष मतदाता सूची पर्यवेक्षक और पूर्व नौकरशाह सुब्रत गुप्ता ने जनता की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि जिन मतदाताओं के नाम मसौदा सूची में नहीं हैं:
उन्होंने बताया कि लगभग ३० लाख मतदाता, जिनका विवरण २००२ की मतदाता सूची से मेल नहीं खा सका, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम निर्णय लेने से पहले दस्तावेज प्रस्तुत करने और पात्रता साबित करने का अवसर मिलेगा। औपचारिक प्रकाशन से एक दिन पहले ही बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के पास मसौदा मतदाता सूची दिखनी शुरू हो गयी थी, जिससे पहले ही तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई।
ऑनलाइन पोर्टल पर देखें अपना नाम:
मंगलवार को मतदाता सूची जारी होने के बाद आयोग ने सभी मतदाताओं को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से या अपने स्थानीय बीएलओ कार्यालय में जाकर ऑफलाइन अपने नामों का सत्यापन करने की सलाह दी। मसौदा मतदाता सूची की ‘हार्ड कॉपी’ बूथ स्तर पर बीएलओ के पास उपलब्ध रहेगी और उनसे कहा गया है कि प्रकाशन के दिन वे यथासंभव बूथों पर उपस्थित रहें।










