१९७१ की विजय भारतीय सेना के शौर्य और इंदिरा गांधी के साहसिक नेतृत्व की मिसाल: कांग्रेस

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने विजय दिवस के अवसर पर कहा कि वर्ष १९७१ के भारत–पाकिस्तान युद्ध में मिली ऐतिहासिक विजय भारतीय सेना के अद्वितीय शौर्य और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दूरदर्शी एवं साहसिक नेतृत्व की मिसाल है। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के वीर सैनिकों के साहस, समर्पण और बलिदान को नमन किया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “आज ही के दिन वर्ष १९७१ में इतिहास रचा गया था, जब भारत की वीर सशस्त्र सेनाओं ने पाकिस्तान को निर्णायक रूप से परास्त कर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई और विश्व के मानचित्र को नया स्वरूप दिया।” उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के दूरदर्शी, साहसिक और दृढ़ नेतृत्व में यह विजय मानवता और न्याय की एक महान मिसाल बनी।
खरगे ने भारतीय सैन्य शक्ति और मुक्ति वाहिनी के अद्वितीय साहस, पराक्रम और बलिदान को शत–शत नमन करते हुए कहा कि भारत माता के इन वीर सपूतों का त्याग और समर्पण एक कृतज्ञ राष्ट्र सदैव स्मरण रखेगा।
वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ‘एक्स’ पर अपने संदेश में कहा, “१९७१ के युद्ध में भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने शौर्य, समर्पण और अटूट संकल्प से पूरे विश्व में इतिहास रचने वाले हमारे सशस्त्र बलों के वीरों को विजय दिवस पर नमन करता हूं।” उन्होंने कहा कि सैनिकों का अदम्य साहस, संघर्ष और सर्वोच्च बलिदान प्रत्येक भारतवासी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।
विजय दिवस का महत्व:
विजय दिवस हर वर्ष १६ दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष १९७१ के भारत–पाकिस्तान युद्ध में देश के लिए लड़ने वाले सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है। इस युद्ध का समापन पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण के साथ हुआ था। जनरल ए.ए. खान नियाज़ी के नेतृत्व में लगभग ९३,००० पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी सेना द्वारा किया गया सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है।

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