नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि हमारी संस्कृति में निहित प्रकृति के साथ सामंजस्य ही ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ का वैश्विक आधार है।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण का अर्थ केवल कम उपयोग करना नहीं, बल्कि ऊर्जा का बुद्धिमानी, जिम्मेदारी और दक्षता के साथ उपयोग करना है। इस अवसर पर उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार–२०२५ और राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने से न केवल ऊर्जा की बचत होती है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है। राष्ट्रपति ने ऊर्जा संरक्षण के प्रति युवाओं और बच्चों को जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे ऊर्जा संरक्षण के लक्ष्यों के साथ-साथ देश का सतत विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है।
राष्ट्रपति के अनुसार ‘सूर्य घर योजना’ और ‘हरित हाइड्रोजन मिशन’ जैसी सरकारी पहलों से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष २०२३–२४ में सरकार ने ५.३६ मिलियन टन तेल समकक्ष ऊर्जा की बचत की, जिससे देश की आर्थिक बचत के साथ प्रदूषण में भी कमी आई।
राष्ट्रपति मुर्मू ने ऊर्जा परिवर्तन को सफल बनाने के लिए नागरिकों के व्यवहार में परिवर्तन को आवश्यक बताते हुए कहा कि सार्वजनिक सहभागिता और सामूहिक जिम्मेदारी के माध्यम से भारत ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है और हरित भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।










