कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस वर्ष अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। आमतौर पर नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर की शुरुआत में सत्र आयोजित किया जाता है, लेकिन इस बार अब तक सत्र की कोई तिथि तय नहीं हो सकी है। विधानसभा सूत्रों के अनुसार दिसंबर में सत्र होने की संभावना बेहद कम है। यदि सत्र बुलाया जाता है, तो वह जनवरी में आयोजित हो सकता है।
परंपरा के अनुसार, यदि किसी विधेयक, प्रस्ताव या अन्य महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा आवश्यक होती है, तो राज्य सरकार विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को इसकी सूचना देती है। इसके बाद राजभवन से परामर्श कर सत्र बुलाया जाता है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अब तक शीतकालीन सत्र को लेकर स्पीकर को कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।
एसआईआर प्रक्रिया बनी देरी की वजह:
राज्य में वर्तमान में एसआईआर प्रक्रिया जारी है। राजनीतिक हलकों के एक वर्ग का मानना है कि इसी प्रक्रिया के कारण विधानसभा सत्र को लेकर निर्णय नहीं लिया जा सका है। एसआईआर को सत्र में देरी की एक प्रमुख वजह माना जा रहा है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, एसआईआर से जुड़े कार्यों के कारण दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले विधायक—विशेषकर उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल के औद्योगिक क्षेत्रों से—फिलहाल कोलकाता नहीं आ पा रहे हैं। सामान्यतः सत्र के दौरान विधायक एमएलए हॉस्टल में ठहरते हैं, लेकिन एसआईआर कार्य के चलते उन्हें अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ही रहना पड़ रहा है।










