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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते ओमान की आधिकारिक यात्रा पर रवाना होने वाले हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों के ७० वर्ष पूरे होने के अवसर पर हो रही है। ओमान पश्चिम एशिया में भारत का सबसे पुराना और भरोसेमंद साझेदार माना जाता है। हाल के वर्षों में रक्षा, व्यापार तथा राजनीतिक सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण यह यात्रा और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
भारत–ओमान संबंधों की गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओमान खाड़ी का पहला देश है जिसके साथ भारत की तीनों सेनाओं ने संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है। रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाते हुए ओमान ने भारतीय नौसेना को हिंद महासागर स्थित अपने दक्म पोर्ट के उपयोग की सुविधा दी है, जिससे पश्चिम एशिया में भारत की सामरिक उपस्थिति और प्रभाव काफी बढ़ा है।
ओमान वह मुस्लिम राष्ट्र है जिसने १९७१ के भारत–पाक युद्ध में भी भारत का समर्थन किया था। आतंकवाद के मुद्दे पर भी ओमान ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) में हमेशा भारत का पक्ष मजबूती से रखा है।
विशेषज्ञों के अनुसार पीएम मोदी की यह यात्रा कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए) की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है। द्विपक्षीय व्यापार २०२३–२४ में ८.९५ बिलियन डॉलर से बढ़कर २०२४–२५ में १०.६१ बिलियन डॉलर पहुंच गया है, जिससे आर्थिक साझेदारी और मजबूत होने की उम्मीद जताई जा रही है।









