परिवर्तनकारी नीतियों ने वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करने की अपार संभावनाएं पैदा की
कोलकाता: भारत का विनिर्माण क्षेत्र उभरती तकनीक और उन्नत स्वचालन तकनीकों को अपनाते हुए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुँच गया है। शुक्रवार को यहां एसोच्याम द्वारा आयोजित मैन्युफैक्चरिंग कॉन्क्लेव २०२५ के चौथे संस्करण में वरिष्ठ उद्योग विशेषज्ञों ने यह बात कही।
‘मेक इन इंडिया’ और राष्ट्रीय विनिर्माण आयोग जैसी परिवर्तनकारी नीतियों ने भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा हासिल करने की अपार संभावना प्रदान की है। एंड्रयू यूल एंड कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री अनंत मोहन सिंह ने कहा, “इस सम्मेलन का विषय ‘विनिर्माण के भविष्य को सशक्त बनाना: स्थानीय स्पर्श, वैश्विक प्रभाव’ – विनिर्माण क्षेत्र में विकास के अगले चरण की रूपरेखा तय करेगा।”
सिंह ने कहा, “उभरती तकनीक और स्वचालन ने व्यवसाय को तेजी से बढ़ने में मदद की है। हालिया महामारी और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों ने समावेशिता, स्थिरता, लचीलापन और चुस्ती की आवश्यकता दिखायी है। स्थानीय विनिर्माण आवश्यक है, जहाँ स्थानीय जनसंख्या विकास प्रक्रिया में भाग ले और वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान करे।”
एसोच्याम ने प्राइमस पार्टनर्स के सहयोग से “भारत के विनिर्माण विकास की पुनर्कल्पना” शीर्षक से एक नॉलेज रिपोर्ट भी जारी की। यह रिपोर्ट वैश्विक विनिर्माण में हो रहे परिवर्तनों पर केंद्रित है, भारत के प्रमुख विकास कारकों की पहचान करती है और सरकार और उद्योग दोनों के लिए कार्यान्वयन योग्य मार्ग प्रस्तुत करती है।
एसोच्याम के पूर्व विनिर्माण उप-संघ सह-अध्यक्ष श्री सुब्रत रॉय ने कहा, “आगामी दिनों में, हमें एकीकृत अवसंरचना निर्माण में अधिक निवेश करना, कौशल अंतर को कम करना, डिजिटलीकरण और तकनीक विकास को प्रोत्साहित करना, अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान देना और चक्रीय अर्थव्यवस्था विकसित करना आवश्यक है। इससे भारत को एक सशक्त वैश्विक विनिर्माण बाजार बनाने में मदद मिलेगी।”
एसोच्याम मैन्युफैक्चरिंग सब-काउंसिल (पूर्व) के अध्यक्ष श्री अविजित मित्र ने कहा, “एआई-सक्षम प्रक्रियाएं और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग भारत को स्थानीय विनिर्माण पर केंद्रित होने में सक्षम बनाएंगी। ३एस- कौशल, पैमाना और स्थिरता देश की विनिर्माण सफलता के महत्वपूर्ण स्तंभ होंगे।”









