नई देहली: विश्वपटल पर भारत देश की एक अनूठी पहचान बनी है। देश की बागडोर एक ऐसे दूरदर्शी नेता के हाथों में है जो केवल मात्र भारत माता और जन-कल्याण को समर्पित है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को आज उनके ७५वें जन्म दिवस है।ऐसे में उनसे जुड़ी कई बातें आप सभी को जानना चाहिए। हमारा पड़ोसी वैसे तो मोदी से बहुत नफरत करता है लेकिन पाकिस्तानी जनता भी चाहती है कि उनके पास भी मोदी जैसा कोई नेता हो। १७ सितंबर, १९५० को मोदी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। एक गरीब परिवार से निकलकर देश की सर्वोच्च सत्ता पर पहुंचना आसान नहीं रहा होगा।
१७ वर्ष की आयु में उनका विवाह जशोदाबेन से किया गया लेकिन विवाह के पश्चात वो अपने परिवार और घर को छोड़ कर देशसेवा के लिए निकल गए। उन्होंने संघ प्रचारक रहते हुए १९८३ में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। बचपन में चाय बेचने वाले बच्चे ने संघ प्रचारक के रूप में पूरे देश का भ्रमण किया। यही कारण है कि उन्हें पूरे देश की जनता की नब्ज का पता है। उन्हें देश की समस्याओं को समझने के लिए किसी अधिकारी और विशेषज्ञ की जरूरत नहीं पड़ती। उनकी योजनाएं लीक से हटकर होती हैं। मोदी को गरीबी समझने के लिए किताबी ज्ञान की जरूरत नहीं है, उन्होंने गरीबी को जीया है। यही कारण है कि उनकी योजनाओं से गरीबों की जिन्दगी में जो बदलाव आया है, वो बदलाव पिछले ७० साल की सरकारें भी नहीं कर पाई।
देश का प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में पूरे देश में शौचालय बनाने की घोषणा करता है। ये देखने में बड़ा अजीब लग सकता है और इसका मजाक भी बनाया गया लेकिन गरीब महिलाओं के लिए शौचालय का क्या मतलब होता है, ये वही जान सकता है, जिसने उनके जीवन को करीब से देखा है। मोदी सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को हुआ है। मोदी सरकार की ज्यादातर योजनाएं महिलाओं को ही ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। यही कारण है कि महिलाओं में मोदी का एक बड़ा समर्थक वर्ग खड़ा हो गया है। मोदी ने संघ के प्रचारक से राजनीति में प्रवेश किया लेकिन उन्होंने राजनीति को सत्ता प्राप्ति नहीं बल्कि सेवा का माध्यम माना।
यही कारण है कि वो खुद को देश का शासक नहीं बल्कि प्रधान सेवक मानते हैं। स्वयंसेवक से प्रधान सेवक का सफर आसान नहीं रहा होगा, मोदी जैसा व्यक्तित्व ही ऐसा सफर पूरा कर सकता है।
संघ से उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्व बोध, समर्पण, सेवा, त्याग और देशभक्ति के विचारों को आत्मसात करने का अवसर मिला। १९७४ में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और १९७५ में आपातकाल के दौरान भी अपना योगदान दिया। संघ के निर्देश पर १९८७ में उन्होंने भाजपा में प्रवेश करके राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा। एक साल बाद पार्टी ने उनकी योग्यता को देखते हुए गुजरात की राज्य इकाई का प्रदेश महामंत्री बना दिया। उनकी मेहनत और रणनीति के कारण १९९५ में भाजपा को गुजरात विधानसभा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका मिला। २००१ में गुजरात के भूकंप के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के खिलाफ पार्टी में असंतोष भड़क गया। इस असंतोष को देखते हुए भाजपा हाईकमान ने गुजरात की कमान मोदी जी को सौंपने का निर्णय लिया
७ अक्तूबर २००१ को मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए बड़े कार्यक्रम चलाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की। २००२ में गुजरात में गोधरा कांड हो गया, जिसमें ५९ कारसेवकों को रेल के डिब्बे में बंद करके जलाकर मार दिया गया। इसकी प्रतिक्रिया में गुजरात में दंगे हो गए, जिसमें१२०० लोग मारे गए। इसके बाद हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। इसके बाद २००७ और २०१४ में मोदी के नेतृत्व में गुजरात में भाजपा की सरकार बनी। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते हुए उनके गुजरात मॉडल की पूरे देश में चर्चा होने लगी। गुजरात के विकास को देखते हुए उन्हें विकासपुरूष कहा जाने लगा। उनकी योजनाओं की पूरे देश में चर्चा होने लगी। ज्योतिग्राम योजना के जरिये उन्होंने गांव-गांव तक बिजली पहुंचा दी। गुजरात में गांव-गांव तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की। गुजरात की कानून-व्यवस्था की चर्चा भी देश में होने लगी। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें २०१४ के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। २०१४ में उनकी लोकप्रियता का ये आलम था कि मनमोहन सिंह के रहते हुए ही उन्हें प्रधानमंत्री मान लिया गया था। मोदी की सबसे बड़ी विशेषता है कि वो हमेशा बड़े लक्ष्य रखते हैं और फिर उन्हें हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं।
उन्होंने २०१४ में भाजपा के लिए २७२ सीटें हासिल करके पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का लक्ष्य रखा था। राजनीतिक विश्लेषक, विपक्षी दल और भाजपा के नेताओं को भी यह विश्वास नहीं था कि भाजपा २७२ सीटें जीत सकती है लेकिन मोदी ने २८२ सीटें जीतकर सबको अचंभित कर दिया। इसके बाद २०१९ में उन्होंने ३०३ सीटें जीतकर पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया । २०२४ में मोदी के नेतृत्व में भाजपा को २४० सीटें मिली लेकिन मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्षी नेताओं का कहना था कि मोदी अगर प्रधानमंत्री बन गए तो उनको इस पद से हटाना बहुत मुश्किल होगा। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद मोदी देश पर लगातार सबसे ज्यादा शासन करने वाले नेता बन गए हैं। नेहरू जी के सामने विपक्ष नाममात्र का था लेकिन मोदी एक शक्तिशाली विपक्ष के रहते यह कारनामा करने में सफल हुए हैं।
कोई नहीं कह सकता कि मोदी कब तक देश के प्रधानमंत्री बने रहेंगे क्योंकि उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आ रही है। ७५ साल की उम्र होने पर भी वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं और पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। मोदी सत्ता को जनता द्वारा दी गई जिम्मेदारी मानते हैं, इसलिए कहते हैं कि वो जनता के कल्याण के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे और वो कर भी रहे हैं।
१३साल मुख्यमंत्री और ११ साल प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है। रोज २० घंटे तक काम करना उनकी आदत है। जनता को वो अपना भगवान मानते हैं और उसकी सेवा को अपना धर्म मानते हैं। यही कारण है कि वो जनता से हमेशा जुड़े रहते हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए मीडिया की जरूरत नहीं है। जनता से जुड़ने के लिए पूरे देश का भ्रमण और सोशल मीडिया को वो इस्तेमाल करते हैं। जहां वो गरीबों की समस्याओं को समझते हैं, वही वो उद्योगपतियों की समस्याओं की भी खबर रखते हैं। गरीबों से प्यार करते हैं लेकिन अमीरों से नफरत नहीं करते। देश के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और धर्म की उन्हें गहरी समझ है, इसलिए उन्हें उनके समर्थक हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं। जहां जनता वीआईपी कल्चर से परेशान हैं, वहीं मोदी जी ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने के बाद परिवार से दूरी बनाए रखी है। उनके भाई-बहन और अन्य परिजन निम्न मध्यवर्गीय जीवन बिता रहे हैं। उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल अपने परिजनों के लिए कभी नहीं किया है। जनता पर मोदी इतना ज्यादा विश्वास करते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसा मुश्किल फैसला किया।
जनता ने उनके विश्वास को कायम रखा है क्योंकि वो मानती है कि मोदी की नीतियां गलत हो सकती हैं लेकिन उनकी नीयत कभी गलत नहीं हो सकती। २०१४ से पहले पाकिस्तान के आतंकवादी हमलों के बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई लेकिन मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और फिर ऑपरेशन सिंदूर करके पाकिस्तान को संदेश दे दिया कि आतंकवादी हमले की उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी। जिस चीन से डर कर हम सीमा पर सड़क भी नहीं बना रहे थे, मोदी ने उस सीमा पर सेना के लिए पूरा बुनियादी ढांचा तैयार कर दिया है। जो देश हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था, आज उनके नेतृत्व में भारत हजारों करोड़ के हथियार निर्यात कर रहा है।
आईटी सुपरपॉवर बना देश अब मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की तैयारी कर रहा है।
अपनी कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही मोदी ने पूरे देश में भाजपा के लिए एक बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है। आज हम अशांत पड़ोसियों से घिरे हुए देश हैं. जहां श्रीलंका, म्यांमार और पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे हैं, वहीं बांग्लादेश और नेपाल में हिंसक क्रांति के बाद सत्ता परिवर्तन हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है । मोदी ने भारत को २०४७ तक विकसित देश बनाने का लक्ष्य तय किया है और उसी ओर देश को ले जा रहे हैं। ये भारत की जनता और ग्लोबल मीडिया के लिए आश्चर्य का विषय था कि जो व्यक्ति १३ साल से गुजरात का सीएम था, वो प्रधानमंत्री बनने के बाद जब अपनी मां से मिलने जाता है, ताे एक छोटे से सरकारी मकान के छोटे कमरे में रहता है।
जिस देश में कोई विधायक बन जाए तो पूरा परिवार पैसों में खेलने लगता है। मोदी जैसा नेता कभी-कभी आता है क्योंकि सत्ता के शीर्ष पर पहुंच कर जनता का सेवक बने रहना आसान नहीं है। मोदी होना इसलिए भी आसान नहीं है क्योंकि शासक बन जाने के बाद सत्ता सिर पर चढ़ कर बोलती है। लगातार २४ साल तक सत्ता में रहने के बाद भी बेदाग बने रहना आसान नहीं है।
मोदी का नाम आते ही आता है एक वकील साहब का जिक्र : आरएसएस के साथ मोदी के जुड़ाव के पीछे एक लंबी कहानी है, जिसके एक हिस्से में उन ‘वकील साहब’ का जिक्र आता है, जिन्होंने नरेंद्र मोदी की संघ में एंट्री कराई थी और नरेंद्र मोदी उस दौरान वकील साहब के कपड़े भी धोते थे।
कौन थे वो वकील साहब?:
नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसlएस) में एंट्री दिलाने वाले वकील साहब और कोई नहीं, बल्कि लक्ष्मण राव ईनामदार थे, जिनका जन्म महाराष्ट्र के पूना में हुआ था. लक्ष्मण राव ईनामदार ने पूना यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की थी और आरएसएस में एक प्रचारक थे। इसीलिए संघ के कार्यकर्ता उन्हें वकील साहब कहकर पुकारते थे। महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर लगाया गया बैन ११ जुलाई १९४९ को हटाया गया. बैन हटने के बाद गोलवलकर के नेतृत्व में संघ महाराष्ट्र से निकलकर दूसरे राज्यों में अपनी जड़ें जमाने लगी. इसी के तहत लक्ष्मण राव ईनामदार को गुजरात में संगठन के काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा मिला।
कैसे संघ में शामिल हुए पीएम मोदी?: साल १९५८ में वकील साहब गुजरात के मेहसाणा जिले के एक छोटे कस्बे वडनगर के प्रवास पर थे, जहां उन्हें बाल स्वयंसेवकों को संघ के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाने पहुंचे थे. उन बाल स्वयंसेवकों की लाइन में तब आठ साल के नरेंद्र मोदी भी शामिल थे।
….जब अहमदाबाद गए पीएम मोदी:
१२ सालों के बाद नरेंद्र मोदी वडनगर में अपना घर छोड़कर अहमदाबाद आ गए और अपने चाचा की कैंटिन में काम करने लगे. कुछ महीनों के बाद उन्होंने एक साइकिल खरीदकर उसी पर चाय बेचने का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने अपना पहला ठिया अहमदाबाद के गीता मंदिर के पास लगाया, जहां से संघ के प्रचारकों और स्वयंसेवकों का आना जाना होना था।
नरेंद्र मोदी ने खुद बताई ये बात: कुछ वक्त के बाद मोदी अहमदाबाद में रहने वाले संघ के राज्य स्तर के नेतृत्व के करीब आने लगे। वहीं, दिवंगत पत्रकार एमवी कामत ने नरेंद्र मोदी की जीवनी पर लिखे किताब में उनके हवाले से लिखा, ‘उस समय गुजरात के आरएसएस मुख्यालय में १०-१२ लोग रहते थे। वकील साहब ने मुझे वहां आकर रहने के लिए कहा। मैं वहां रोज सुबह प्रचारक और दूसरे कार्यकर्ताओं के लिए नाश्ता और चाय बनाता था, इसके बाद शाखा चला जाता। लौटने के बाद पूरे मुख्यालय में झाड़ू-पोछा लगाता। इसके बाद मैं अपने और ईनामदार साहब के कपड़े धोता था।
चुनौतियों का सामना कर की जीत हासिल:
२०१४ में प्रधानमंत्री बनने के बाद, भाजपा ने देश के उन राज्यों में सरकार बनाई जहाँ पार्टी कई वर्षों से अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही थी. इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रणनीति थी. बिना किसी अवकाश के लगातार काम करने की उनकी विशेष शैली के कारण प्रधानमंत्री मोदी की ‘ब्रांड’ छवि विकसित हुई। इसी के चलते मोदी लहर चली और देश के अधिकांश राज्यों में भगवा झंडा लहराया।
हर चुनाव पर कड़ी मेहनत:
एक ज़माना था जब भाजपा के लिए एक मुहावरा इस्तेमाल किया जाता था। वो था- भाजपा के तीन काम, बैठक, भोजन और विश्राम. जब से प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी की कमान संभाली है, बदलाव साफ़ देखा जा सकता है. राजनीतिक कामकाज से लेकर पार्टी की रणनीति तक में बड़ा बदलाव आया है। इसकी शुरुआत का मूल मंत्र हर चुनाव को गंभीरता से लेना रहा है. इसी खूबी के साथ भाजपा ने दूसरे दलों के शासन वाले राज्यों में भी भगवा परचम लहराया है। छुट्टी नहीं लेते पीएम मोदी: खास बात तो ये है कि पीएम मोदी ऐसे नेता हैं जो लगातार २ दशक से अधिक समय से सत्ता में बने हुए हैं. पहले १३ साल मुख्यमंत्री रहे और अब ११ साल से प्रधानमंत्री के पद पर काबिज हैं. इस दौरान उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है। सामान्य जीवन जीने वाले नरेन्द्र मोदी ने अनुशासन और उम्दा जीवनशैली के जरिये काम करने में युवाओं को भी मात दी है।
पार्टी को दिए सख्त निर्देश:
पीएम मोदी ने पार्टी को इस बात का आदेश दे रखा है कि चुनाव कोई भी हो, नतीजे आने के बाद भी तैयारियाँ नहीं रुकनी चाहिए. आमतौर पर राजनीतिक दल राज्यों में चुनाव से एक साल पहले ही तैयारियाँ शुरू कर देते हैं, लेकिन पीएम मोदी ने इस चलन को भी बदल दिया। उन्होंने चुनावी तैयारियों को पार्टी के कामकाज का अहम हिस्सा बना दिया. नतीजतन, भाजपा की चुनावी तैयारियाँ विपक्षी दलों के लिए चुनौतियाँ बढ़ा रही हैं।
कामयाबी देख बौखलाता है विपक्ष:
प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली का साफ़ असर विपक्षी दलों पर दिख रहा है। इसका एक उदाहरण कांग्रेस में साफ़ तौर पर देखने को मिला। दो साल पहले कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने २४ घंटे काम करने वाले अध्यक्ष की मांग की थी। ममता बनर्जी जैसे देश के कई दलों के नेता यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि वो पूर्णकालिक राजनीति के मूड में हैं।